नई दिल्ली, 21 अप्रैल (हि.स.)। देशभर में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की विपक्ष द्वारा जमकर आलोचना की जा रही है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने सोशल नेटवर्किंक साइट्स पर टिप्पणी कर संकट के समय में एक्शन की बजाय सिर्फ भाषण देने को लेकर प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया। विपक्षी नेताओं का कहना कि देश को भाषण नहीं, ऑक्सीजन की जरूरत है।
कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि रात 8.45 बजे के ज्ञान का सार- ‘मेरे बस का कुछ नहीं, यात्री अपने सामान यानी जान की रक्षा स्वयं करें।’
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री के भाषण का लब्बोलुआब यही रहा कि दोस्तों आप स्वयं की सुरक्षा करो। अगर आप कोरोना को मात देकर निकलने में सक्षम रहे तो निश्चित रूप से हम किसी उत्सव और महोत्सव में मिलेंगे। तब तक के लिए शुभकामनाएं। भगवान आपके साथ रहे।’
इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने भी पीएम मोदी के भाषण पर ट्वीट कर तंज कसा है। उन्होंने लिखा, “क्षमा कीजिए। देश को ‘भाषण’ की नहीं, ‘ऑक्सीजन’ की जरूरत है।”
दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीएम मोदी का भाषण कुछ अलग ही अंदाज का था। पिछले साल कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र ने सब कुछ अपने हाथों में रखा था, यहां तक कि लॉकडाउन भी केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए। लेकिन इस बार कोरोना नियंत्रित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है। इसके पीछे का मुख्य कारण केंद्र सरकार छुपा रही है।
इसके अलावा, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि ‘मोदी सरकार इस तरह संकट को संभाल रही है: पहला- अपनी समझ और दूरदर्शिता के अभाव को छिपाने के लिये समस्या को नजरअंदा करो। दूसरा- अचानक हरकत में आओ, जीत हासिल करने के झूठे दावे करो। तीसरा- अगर समस्या बरकरार रहे तो उसका ठीकरा दूसरों पर फोड़ दो। चौथा- यदि हालात में सुधार हो तो, भक्त सेना के साथ श्रेय लेने आ जाओ।’
दरअसल, कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिन मंगलवार को देश को संबोधित किया था। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश को लॉकडाउन से बचने का संदेश देते हुए राज्य सरकारों से इसे आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने का आग्रह किया था। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों को भी निशाने पर लिया था।