लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

 उद्योगों को अलग से राहत का आदेश देने से कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली, 23 मार्च (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने उद्योगों को अलग से राहत का आदेश देने से भी मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने छोटे कर्जदारों का चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया है। इससे ज़्यादा के लिए कोर्ट आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने इस बारे में 17 दिसम्बर, 2020 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने कहा कि हम सरकार के आर्थिक सलाहकार नहीं हैं। कोरोना के दौरान सरकार को भी कम टैक्स मिला है। कोर्ट ने कहा था 1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 की मोरेटोरियम अवधि के लिए बकाया किसी भी ईएमआई पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लगेगा। पहले यह छूट सिर्फ 2 करोड़ तक के लोन के लिए मिली थी। सुनवाई के दौरान वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने कहा था कि रिजर्व बैंक ने कर्जदाताओं के साथ भेदभाव किया है। वकील विशाल तिवारी ने कहा कि कर्जदाताओं की तकलीफों का बैंक बेजा फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक ने सरकार की एडवाइजरी का पालन नहीं किया। इस पर रिजर्व बैंक की ओर से वकील वीवी गिरि ने कहा था कि अगर पंजाब नेशनल बैंक से उनकी शिकायत है तो पंजाब नेशनल बैंक के खिलाफ अलग याचिका दायर की जाए या उसे पक्षकार बनाया जाए।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये आर्थिक नीति का मसला है। इसमें रिजर्व बैंक और सरकार को और ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट को ये नहीं भूलना चाहिए कि छोटे-मोटे लाखों जमाकर्ता हैं। ये मसला बैंकों पर छोड़ना चाहिए। तब याचिकाकर्ता की ओर से वकील विशाल तिवारी ने कहा था कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक से कहा है कि रिस्ट्रक्चरिंग का काम 31 मार्च तक बढ़ाया जाना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा था कि इस मसले पर हमें हरीश साल्वे की बात सुननी पड़ेगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर केंद्र के निर्देश पर जारी किए गए। 27 नवम्बर, 2020 को केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्ट को सरकार की वित्तीय नीतियों में दखल नहीं देना चाहिए। सुनवाई के दौरान वकील विशाल तिवारी ने कहा था कि उन्होंने मोरेटोरियम की अवधि 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाने के लिए याचिका दायर की है। उन्होंने कहा था कि बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कारपोरेशन लोगों को प्रताड़ित नहीं करें, इसका दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए। कर्जदाता बैंक गैरकानूनी तरीका अपना रहे हैं और लोगों से गाली-गलौज की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *