लंदन, 03 मार्च (हि.स.)। यूके में भारतीय मूल के फार्मासिस्ट को अवैध दवाओं को ब्लैक मार्केट में बेचने के लिए एक साल जेल की सजा सुनाई गई है।
वेस्ट ब्रोमविच में हाई स्ट्रीट पर अपनी मां की दवा कंपनी में काम करने वाले बलकीत सिंह खैरा को बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में मंगलवार को सजा सुनाई गई। कोर्ट में बताया गया कि खैरा साल 2016-17 में प्रतिबंधित दवाओं को बिना डॉक्टर के पर्चे के भारी मुनाफे पर बेचता था।
यूके के हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स, मेडिसिंस एंड रेग्यूलेट्री अथॉरिटी के (एमएचआरए) प्रवर्तन अधिकारी ग्रांट पॉवेल ने बताया कि बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाइयों की बिक्री करना अपराध है। कोई भी व्यक्ति जो बिना डॉक्टर के पर्चे के लोगों को दवाइयां बेचता है, वह उनका शोषण करता है और उनके स्वास्थ्य की परवाह नहीं करता है जबकि ये दवाइयां केवल चिकित्सकीय देखरेख में दी जानी चहिए। हम इसमें शामिल लोगों की पहचान करने और इन पर मुकदमा चलाने के लिए नियामक और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
पिछले महीने बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में खैरा को नियंत्रित वर्ग सी दवाओं की आपूर्ति के पांच मामलों में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट में बताया गया कि उसने साल 2008 में फार्मासिस्ट की पढ़ाई पूरी की और अपने फैमिली बिजनेस खैरा केयर लिमिटेड में काम शुरू किया और अपनी मां की जिस फार्मा कंपनी में काम कर रहा है, इसे कई आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया गया है।
बलकीत सिंह खैरा ने क्लास सी की दवाइयां बेचकर 59,000 पाउंड्स कमाए, जो दर्द से राहत, चिंता और अनिद्रा जैसी स्थितियों के इलाज के लिए निर्धारित हैं। एमएचआरए के नेतृत्व में एक जांच के बाद वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस के जांचकर्ताओं ने फार्मेसी का दौरा किया। परिसर में मिले रिकॉर्ड से पता चला कि थोक विक्रेताओं से खरीदे गए डायजेपाम, नाइट्रेज़ेपम, ट्रामाडोल, ज़ोलपिडेम और ज़ोपिक्लोन की सैकड़ों-हजारों खुराक अवैध तरीके से बेची गई थीं।