विश्व जल दिवस (22 मार्च) विशेषमुकुंदउत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का ‘बुंदेलखंड’ हर साल गर्मी में सूखे और अकाल से त्राहिमाम-त्राहिमाम करता रहा है। अब हालात बदल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी गांव के लोगों के तीस साल के सामुदायिक प्रयास से सूखा खत्म हो गया है। गांव के कुएं, तालाब लबालब रहते हैं। खेत हर वक्त लहलहाते रहते हैं। यह सब सर्वोदय कार्यकर्ता उमाशंकर पाण्डेय की वजह से संभव हो पाया है। जलयोद्धा पाण्डेय के प्रयासों से गांववालों ने पुरखों की परंपरा ‘खेत पर मेड़-मेड़ पर पेड़’ को धरातल पर उतारकर जखनी के संकट के साथ आसपास के गांवों का जल संकट दूर किया है।हाल ही में बांदा जिले के ओरन गांव से देश की पहली मेड़बंदी यज्ञ यात्रा शुरू हुई है। इस यज्ञ में हिस्सा लेने उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री प्रो. डॉ महेंद्र सिंह पहुंचे। दरअसल यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों का नतीजा है कि ऐसे आयोजनों में मंत्री और अफसर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री जखनी के मूलमंत्र ‘खेत पर मेड़-मेड़ पर पेड़’ को जल आंदोलन में बदल चुके हैं। अब मेड़बंदी विधि सूखा प्रभावित देश के प्रत्येक राज्य के लाखों गांवों तक पहुंच गई है। केंद्र सरकार जखनी को देश का पहला जलग्राम और उमाशंकर पाण्डेय को पहला जलयोद्धा घोषित कर चुकी है। केंद्र ने देश के 1100 गांवों में जखनी मॉडल लागू किया है।उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह का कहना है कि जो वर्षा जल को रोकेगा, भारत माता के कोख में पानी भरेगा, उसे सिद्धि- प्रसिद्धि -समृद्धि मिलेगी। जल में ही अमृत है। जल में ही ऊर्जा है। जल में ही सारे देवता वास करते हैं। जल ही जीवन है। पाण्डेय का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत तौर पर वर्षाजल को संचित करने के मेड़बंदी के प्रयोग को लागू करने के पक्षधर हैं। प्रधानमंत्री देश के प्रधानों को मेड़बंदी के लिए पत्र लिख चुके हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी जखनी के प्रयोग की भगीरथ प्रयास बताया है। बांदा के भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल का कहना है कि भूजल रोकने का सबसे सशक्त माध्यम मेड़बंदी है। यह सुखद है कि देश-दुनिया के शोधार्थियों के लिए आज जखनी जलतीर्थ बन चुका है। जखनी के मेड़बंदी यज्ञ अभियान के संस्थापक जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डेय का कहना है कि यह मेड़बंदी यज्ञ रथयात्रा छह माह में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों के सूखा प्रभावित 111 गांव की यात्रा करेगी। वह खुद 1 अप्रैल से मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की यात्रा करेंगे।विश्व जल दिवस की पूर्व संध्या पर पाण्डेय ने कहा कि यह चिंताजनक है कि दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा करीब 15.5 करोड़ बच्चे पानी की भारी किल्लत का सामना करने को मजबूर हैं। दुखद यह है कि इनमें 9.14 करोड़ बच्चे भारत में रहते हैं। विडंबना यह है कि दुनिया भर में 320 करोड़ लोग पानी की कमी वाली जगहों पर रहते हैं। यह ऐसे स्थान हैं जहां अधिकतर खेती की जाती है। जलयोद्धा पाण्डेय का कहना है कि अगर खेतों पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ लगाए जाएंगे तो निश्चिततौर पर यह परिदृश्य बदल सकता है। वह कहते हैं कि यह अलग बात है कि इसमें समय लगेगा पर इतना पक्का है कि अधिकतम 10 साल में जल संकट दूर हो सकता है।पाण्डेय का कहना है कि यह वही बुंदेलखंड है जहां आचार्य विनोबा भावे ने भूदान यज्ञ का का आगाज किया है। यह सुखद है कि उसी बुंदेलखंड में मेड़बंदी यज्ञ शुरू हुआ है। कालखंड बेशक बदला है पर दोनों का लक्ष्य एक ही है। जल शक्ति सचिव यूपी सिंह और नीति आयोग के जल सलाहकार अविनाश मिश्रा इस प्रयोग को समझने के लिए जखनी का दौरा कर चुके हैं।
2021-03-21