लंदन 13 मार्च (हि. स.)। एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की कोरोना वैक्सीन, कोविशील्ड पर विश्व में बहस जारी है । जहां दुनिया के कई देश और विश्व स्वास्थ्य संगठन उसे सुरक्षित बता रहा है, वहीं कई यूरोपीय देश इस पर अस्थायी प्रतिबंध लगाकर मामले को तूल दे रहे हैं।
थाईलैंड में वैकेसीन लेने वालों के शरीर में ख़ून का थक्का जमने की शिकायत के बाद एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की वैक्सीन के इस्तेमाल को फ़िलहाल टाल दिया गया है। हालांकि यूरोपीय मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए) ने ऐसी किसी स्थिति के पैदा होने से इनकार किया है।
कोविशील्ड के उपयोग को टालने का थाईलैंड का यह क़दम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि थाईलैंड के प्रधानमंत्री शुक्रवार को वैक्सीन लेने वाले थे। इसी के साथ देश में टीकाकरण शुरू होने वाला था लेकिन अभी इसे स्थगित कर दिया गया है।
डेनमार्क, नॉर्वे, आइसलैंड समेत कई यूरोपीय देशों ने अपने यहां वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया है। अभी तक यूरोप में 50 लाख से अधिक लोगों को टीका दिया जा चुका है। इनमें से सिर्फ 30 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके शरीर में ख़ून का थक्का जमने की शिकायत की गई है।
सावधानी के तहत ही इटली और ऑस्ट्रिया में भी इस वैक्सीन के कुछ बैचेज़ के इस्तेमाल को फ़िलहाल रोक दिया गया है। कुछ ख़बरों में ये भी दावा किया गया कि इन देशों में आ रही शिकायतों के बीच दक्षिण कोरिया में इस वैक्सीन को लेने के बाद दो लोगों की मौत हो गई। हालांकि इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने अपने यहां एस्ट्राज़ेनेका की कोविड-19 वैक्सीन को जारी रखने का फैसला किया है। उसके यहां लोगों के शरीर में ख़ून का थक्का जमने जैसी कोई शिकायत नहीं मिली है.
इस बीच डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वैक्सीन से डरने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि इससे ब्लड क्लॉट होने का कोई सबूत नहीं मिला है। यूरोपीय संघ के दवा नियामक ने भी कहा है कि ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविड-19 वैक्सीन के कारण ख़ून के थक्के बनने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। वैक्सीन के पक्ष में यह भी कहा गया है कि ख़ून का थक्का जमना स्वाभाविक भी हो सकता है और यह असामान्य नहीं है। ऐसा माना जाता है कि ब्रिटेन में हर साल हज़ार में से एक व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं।