- ट्रम्प-मोदी के बीच हुआ आखिरी रक्षा सौदा पूरा करेगी भारत सरकार
- तीनों सेनाओं को मिलेंगे हथियारों से लैस 10-10 अमेरिकी रीपर ड्रोन
नई दिल्ली, 11 मार्च (हि.स.)। भारत अब अमेरिका के साथ हथियारों से लैस 30 रीपर ड्रोन खरीदने का वह सौदा फाइनल करने जा रहा है जो डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के साथ अंतिम प्रमुख समझौता था। नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के रक्षा सचिव जनरल लॉयड जे ऑस्टिन पहली बार 19 से 21 मार्च तक भारत दौरे पर आ रहे हैं, जिसमें लगभग 3 बिलियन डॉलर यानी 22 हजार करोड़ रुपये का यह सौदा फाइनल होने की उम्मीद है। यह संयुक्त रूप से त्रि-सेवा कमांडो की पहली खरीद होगी। सौदे के पहले चरण में छह ड्रोन तत्काल एकमुश्त नगद भुगतान करके खरीदे जायेंगे। मौजूदा जरूरतों को देखते हुए फिलहाल दो-दो ड्रोन तीनों सेनाओं को दिए जायेंगे। बाकी 24 ड्रोन अगले तीन वर्षों में हासिल कर लिए जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय ने आंतरिक बैठकों के बाद छह रीपर मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोनों की खरीद का रास्ता साफ कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि सेनाओं को कुल 30 ड्रोन की जरूरत है, इसलिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की अगली बैठक में इसकी मंजूरी का प्रस्ताव प्रमुखता से रखा जाएगा। इस अनुबंध को दो भागों में बांटकर लगभग 600 मिलियन डॉलर (4,400 करोड़ रुपये) के छह एमक्यू-9ए ड्रोन अगले कुछ महीनों में नगद पैसे देकर खरीदे जाएंगे। इसमें से 2-2 ड्रोन सेना, वायुसेना और नौसेना को दिए जायेंगे। इसके बाद बाकी 24 ड्रोन एक अनुबंध के तहत अगले तीन वर्षों में हासिल कर लिए जाएंगे जिसमें से तीनों सेनाओं को 8-8 ड्रोन फिर दिए जाएंगे। अमेरिका से तुरंत खरीदे जाने वाले छह ड्रोन को हेलफायर मिसाइलों और अन्य एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल से लैस किया जाएगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह सौदा पिछले तीन वर्षों से लंबित है। 2017 में यह अत्याधुनिक ड्रोन सिर्फ भारतीय नौसेना के खरीदे जाने थे लेकिन बाद में इसे तीनों सेनाओं के लिए खरीदने का फैसला लिया गया। तब अमेरिकी सरकार ने 2018 में भारत को एमक्यू-9 के सशस्त्र संस्करण बेचने की मंजूरी भी दे दी थी। रक्षा मंत्रालय द्वारा हार्डवेयर की खरीद के लिए स्वीकृति की आवश्यकता (एओएन) औपचारिक रूप से पहला कदम है। इस तरह के खरीद मामलों को अनुबंध में बदलने की प्रक्रिया में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं लेकिन चीन से तनाव के चलते मौजूदा जरूरतों को देखते हुए एमक्यू-9ए ड्रोन की खरीद जल्द पूरी कर ली जाएगी। भारत सरकार इसे अमेरिकी सरकार के साथ लेमोआ समझौते के तहत फास्ट-ट्रैक के जरिए खरीदेगी।
एमक्यू-9ए रीपर ड्रोन इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इंफ्रा-रेड मल्टी-मोड रडार और मल्टी-मोड मैरीटाइम सर्विलांस रडार, लेजर डिजाइनर्स, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट और विभिन्न हथियार पैकेज ले जा सकता है। यह लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान पी8-आई पोसिडन और बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ हिन्द महासागर क्षेत्र में सतह के जहाजों और पनडुब्बियों को शिकार बना सकता है। एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी का कहना है कि एमक्यू-9ए रीपर ड्रोन उपग्रह चालित है और 45 हजार फीट की ऊंचाई पर लगातार 35 घंटे तक उड़ सकता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने इस सौदे की प्रक्रिया को रक्षा मंत्रालय की उन बैठकों में आगे बढ़ाया है जिसमें स्थायी समिति के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के रूप में अंतर-सेवा रक्षा अधिग्रहण पर फैसले लिए जाते हैं।
यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के बीच हस्ताक्षरित अंतिम प्रमुख समझौता है। इसके बाद नए राष्ट्रपति बने जो बाइडन प्रशासन के रक्षा सचिव जनरल लॉयड जे ऑस्टिन 19 से 21 मार्च तक भारत के दौरे पर आ रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान ऑस्टिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ गण्यमान्य लोगों से मिलेंगे। अपनी पहली विदेश यात्रा के हिस्से के रूप में सचिव ऑस्टिन भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की ताकत पर जोर देंगे। रक्षा सहयोग के बारे में दोनों देशों के बीच सैन्य-से-सैन्य सहयोग, रक्षा व्यापार और उद्योग सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होनी है। ऑस्टिन के इसी भारत दौरे पर एमक्यू-9ए रीपर ड्रोन का सौदा फाइनल होने की उम्मीद है।