नक्सलियों के ‘टीसीओसी’ पर भारी पड़ा ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’

नागपुर, 11 मार्च (हि.स.) । जंगल के सहारे हिंसा को अंजाम देने वाले नक्सली मार्च से मई माह के दरम्यान ‘टॅक्टिकल काऊंटर ऑफेन्सिव्ह कॅम्पेन’ (टीसीओसी) चलाते हैं। इस दौरान नक्सलियो द्वारा पुलिस पर होने वाले हमलो में इजाफा होता है। लेकिन इस बार महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित अबुझमाड के जंगल में पुलिस ने ‘सर्जिकल-स्ट्रईक’ कर नक्सलियों की कमर तोड़ी है।

नक्सलियों से लड़ने का लंबा तजुर्बा रखनेवाले सेवानिवृत्त विशेष पुलिस महानिरीक्षक रवींद्र कदम ने नक्सलियों के ‘टीसीओसी’ के बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया कि, नक्सली मार्च से मई के इन तीन महीनों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रयासरत होते हैं। बतौर कदम बरसात के दिनों में महाराष्ट्र की इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। नतीजतन नक्सली बारिश के मौसम में महाराष्ट्र से सटे छत्तीसगढ़ स्थित घने जंगलों में छिपे रहते हैं। वहीं फरवरी माह से इन नदियों का पानी सूखने लगता है। जिसके चलने नक्सलियों को छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र की सीमा में घुसना आसान हो जाता है। फरवरी में पतझड़ शुरू होने की वजह से जंगली इलाकों में ‘विजिबिलिटी’ बढ़ जाती है। जिससे नक्सलियो को दूर तक नजर रखने में आसानी होती है। इसलिए टीसीओसी के लिए नक्सली अक्सर मार्च से मई माह का समय चुनते हैं। कदम ने कहा कि, इसी दौरान नक्सलियों के पुलिस पर हमले बढ़ जाते हैं।
पूर्व आईजी कदम ने बताया कि लोगों को नक्सल-सप्ताह और शहीद दिवस के बारे में जानकारी है। लेकिन नक्सलियों का ‘टीसीओसी’ अभियान सबसे घातक होता है। इसी दौरान नक्सली पुलिस पर सबसे ज्यादा हमले करते हैं। साथ ही नक्सलियों द्वारा पुलिस के खबरियों की हत्या करना, ठेकेदार, व्यापारियों से फिरौती वसूलना, सरकारी विकास कार्यो में बाधा डालना, गाड़ियों की आगजनी, हत्या ऐसी घटनाओ को अंजाम दिया जाता है।

‘टीसीओसी’ दौरान हुए हमले

  • दंतेवाड़ा मे 15 मार्च 2007 को हुए नक्सली हमले में पुलिस के 15 जवान शहीद
  • गढ़चिरौली में 22 में 2009 को नक्सली हमले में 16 पुलिसवाले शहीद
  • दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल 2010 को नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवान शहीद
  • छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 मई 2013 नक्सली वारदात में 25 काँग्रेस नेताओ की हत्या
  • गढ़चिरौली के जांभुलखेडा में 1 मई 2019 को आईडी ब्लास्ट में 15 पुलिसवाले शहीद
    -बीते कुछ वर्षों में नक्सलियों ने गढ़चिरौली के मरकेगाव, गत्तीगोटा, मुरमुरी में ‘टीसीओसी’ दौरान बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है।

‘सर्जिकल-स्ट्रइक’ने तोड़ी कमर
इस वर्ष पुलिस ने नक्सलियों के ‘टीसीओसी’ अभियान को ध्वस्त करने के लिए कमर कसी है। इसी के चलते गढ़चिरौली पुलिस के सी-60 दल ने अबुझमाड के घने जंगलों में सर्जिकल स्ट्राईक कर नक्सलियों का कैम्प ध्वस्त कर दिया। जिसके चलते नक्सली भागने पर मजबूर हो गए।
‘टीसीओसी’ को ध्यान में रखते हुए मार्च माह के पहले सप्ताह में पुलिस ने खोजी मुहिम शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस को खबर मिली कि, महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित अबुजमाड इलाके में एक पहाड़ी पर नक्सली कैम्प चल रहा है। पुलिस ने इस इलाके की घेराबंदी प्रारंभ कर दी। लगभग 48 घंटे से अधिक चले इस अभियान के दौरान पुलिस की नक्सलियों से दो बार मुठभेड़ हुई। पुलिस द्वारा हुई ताबड़तोड़ कारवाई के चलते लेकिन संख्या में अधिक होने के बावजूद नक्सली भागने पर मजबूर हुए। इस दौरान पुलिस ने नक्सलियों का ट्रेनिंग कैम्प और हथियारों का कारखाना ध्वस्त कर हथियार बरामद किए। नतीजतन नक्सलियों को घने जंगलों में भागकर छिपना पड़ रहा है।

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