धमतरी, 9 जनवरी ( हि. स.) । सब्जी उत्पादन की बढ़ती लागत से अब कई लोग इस पारंपरिक व्यवसाय से पीछे हटने लगे हैं। हाल के दौरान सब्जी उत्पादन मुनाफे का सौदा रहा है। बावजूद इसके सब्जी उत्पादक परिवारों की नई पीढ़ी इस व्यवसाय को अपनाना नहीं चाहती। वह नौकरी और कार्यों में अपना भविष्य तलाश रही है। उत्पादन में बढ़ती लागत और अनिश्चितता के कारण के युवा इस पेशे से पीछे हट रहे हैं।
ग्राम खोरदो के सब्जी उत्पादक राजेश साहू ने बताया कि उनका परिवार सालों से सब्जी का उत्पादन कर रहा है। जिस अनुपात में सब्जी उत्पादन में मेहनत लगती है, उसकी तुलना मुनाफा कमा है। पारंपरिक व्यवसाय होने के कारण चाहकर भी इस पेशे को नहीं छोड़ सकते। पहले की तुलना में लागत बढ़ी है। मुनाफे का प्रतिशत कम हुआ है। सोनकर समाज द्वारा जिले में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है। वर्तमान पीढ़ी सब्जी उत्पादन में बढ़ती लागत को देखते हुए पीछे हटने लगी है। सब्जी उत्पादक नरेश कुमार सोनकर, प्रमोद कुमार सोनकर , नारायण सोनकर ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी सब्जी उत्पादन के व्यवसाय में करियर नहीं बनाना चाहती, वे नौकरी व अन्य कार्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं। पुश्तैनी धंधा होने के कारण हम लोग चाहकर भी इस पेशे को नहीं छोड़ सकते। गेंद राम सोनकर ने बताया कि शासकीय अनुदान का नहीं मिल पाता। सब्जी उत्पादक राजू सोनकर ने कहा कि शासन की ओर से मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। योजनाओं को लेकर प्रचार प्रसार होना चाहिए। सीमित लोग ही शासन की योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं। जन जन तक प्रचार करके शासकीय योजनाओं को पहुंचाना चाहिए। सब्जी उत्पादक रामलाल सोनकर ने बताया कि पहले की तुलना में लागत बढ़ गई है। महंगे बीज, दवा छिड़काव के बाद सब्जी का उत्पादन होता है इस दौरान मौसम में परिवर्तन आ जाए तो लागत निकालना भी मुश्किल हो जाती है।