भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता में बड़ी छलांग: अग्नि-५ मिसाइल का सफल परीक्षण, एमआईआरवी तकनीक से लैस

भुवनेश्वर, 21 अगस्त: भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं में एक बड़ा मील का पत्थर स्थापित करते हुए बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से अग्नि-५ मिसाइल का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रक्षेपण रणनीतिक बल कमान की देखरेख में हुआ और इसने अपने सभी तकनीकी और ऑपरेशनल लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस परीक्षण ने भारत की “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता” की नीति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को फिर से मजबूत किया है।

अग्नि-५, भारत की सबसे उन्नत परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे अब एमआईआरवी (MIRV) तकनीक से लैस किया गया है। यह तकनीक एक ही मिसाइल से कई परमाणु वारहेड को अलग-अलग लक्ष्यों पर दागने में सक्षम बनाती है, जो भारत की परमाणु प्रतिरोध रणनीति में एक बड़ा बदलाव है। इस तकनीक का पहली बार मार्च 2024 में कलापक्कम से सफल परीक्षण किया गया था, और अगस्त 2025 का यह प्रक्षेपण संकेत देता है कि यह अब परिचालन चरण में पहुंचने वाली है।

तीन-चरणीय ठोस ईंधन प्रणोदन प्रणाली पर आधारित अग्नि-५ को एक कैनेस्टराइज्ड मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसके त्वरित तैनाती और सुरक्षित भंडारण में मदद करता है। मिसाइल लगभग 1.5 टन का परमाणु वारहेड ले जा सकती है और हल्के कंपोजिट सामग्री से बने होने के कारण इसकी दक्षता भी बढ़ी है। अत्याधुनिक जाइरोस्कोप और सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन तकनीक, जैसे नाविक और जीपीएस, इसे लंबी दूरी के लक्ष्यों पर बेहद सटीकता से हमला करने में सक्षम बनाती है।

अग्नि-५ की घोषित रेंज 5,000 किलोमीटर से अधिक है, लेकिन सूत्रों के अनुसार डीआरडीओ एक उन्नत संस्करण पर काम कर रहा है जिसकी रेंज 7,500 किलोमीटर तक हो सकती है। इससे चीन, एशिया और यूरोप के बड़े हिस्से इस मिसाइल की पहुंच में आ जाएंगे। यह भारत की दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को और मजबूत करता है।

अग्नि सीरीज में, अग्नि-५ सबसे लंबी दूरी और सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल है। पहले की अग्नि-१ (७००–९०० किमी) और अग्नि-२ (~२,००० किमी) का उपयोग मुख्य रूप से पाकिस्तान और पड़ोसी क्षेत्रों के लिए होता था, जबकि अग्नि-३ और अग्नि-४ (२,५০০–३,৫০০ किमी) चीन के लिए बनाई गई थीं। लेकिन एमआईआरवी तकनीक से लैस अग्नि-५, कई दूरस्थ लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता रखती है।

अग्नि-५ के इस सफल परीक्षण से पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है। इस्लामाबाद के स्ट्रेटेजिक विजन इंस्टीट्यूट (SVI) ने इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है। SVI ने दावा किया है कि 2016 में भारत के एमटीसीआर (MTCR) में शामिल होने के बाद से उसके मिसाइल कार्यक्रम में तेजी आई है, और भविष्य में 8,000 किमी तक की रेंज वाली मिसाइलों से वाशिंगटन, मॉस्को और यहां तक कि बीजिंग भी भारत की मिसाइलों की पहुंच में आ जाएंगे। इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत की पनडुब्बी-लॉन्च परमाणु क्षमताओं पर भी चिंता व्यक्त की है।

डीआरडीओ अग्नि सीरीज में और भी सुधार की योजना बना रहा है। भविष्य के संस्करणों में अधिक वारहेड ले जाने की क्षमता, बंकर-बस्टर तकनीक और लंबी दूरी को शामिल किया जा सकता है। ये सुधार भारत की रक्षा तैयारियों और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेंगे।

यह सफल परीक्षण भारतीय परमाणु प्रतिरोध नीति को नई ऊंचाइयों पर ले गया है। यह भारत की “शांति के लिए शक्ति” के मंत्र पर आधारित रक्षा रणनीति को दर्शाता है।