पाकिस्तान पर भारत के सेना प्रमुख का कटाक्ष: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नैरेटिव मैनेजमेंट की भूमिका

चेन्नई, 10 अगस्त: भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में पाकिस्तान के युद्ध में जीत के दावों पर कटाक्ष किया। उन्होंने पाकिस्तान के “नैरेटिव मैनेजमेंट” प्रणाली की ओर इशारा करते हुए कहा कि, “जीत एक मानसिक चीज़ है, यह हमेशा दिमाग में रहती है। अगर पाकिस्तानियों से पूछा जाए कि वे अपने देश की हालिया जीत की व्याख्या कैसे करेंगे, तो उन्हें लगेगा कि वे निश्चित रूप से जीते हैं, क्योंकि उनके सेना प्रमुख आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नति मिली है।”

जनरल द्विवेदी के इस बयान ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की राजनीतिक परियोजनाओं और प्रचार तंत्र पर तीखी टिप्पणी की है, जो अपनी जनता को किसी भी स्थिति में जीत का अहसास दिलाता है। उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तानी यह बताते हैं कि अगर उनका सेना प्रमुख फील्ड मार्शल बनता है, तो वे जीते हैं। इस तरह का ‘नैरेटिव मैनेजमेंट’ उनकी जनता को सैन्य हार के बाद भी विजेता महसूस करने में मदद करता है।”

भारतीय सेना प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि, “नैरेटिव मैनेजमेंट सिस्टम एक ऐसी रणनीति है जिसे हम बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। जीत हमेशा मानसिक रूप से होती है और इसमें सभी दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता होती है।” उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में केवल सैन्य रणनीति ही नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश और विश्वव्यापी जनमत बनाने के महत्व पर भी जोर दिया।

भारतीय सेना ने अपने रणनीतिक संदेशों को विभिन्न सोशल मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से फैलाया। जनरल द्विवेदी ने बताया कि, “हमारा पहला संदेश था ‘न्याय हुआ है’।” यह संदेश दुनिया भर में बड़े पैमाने पर फैला और इसने भारतीय सेना की क्षमता के प्रति जनमत का समर्थन बनाया।

उन्होंने कहा, “ये संदेश बहुत सरल थे, लेकिन उनका प्रभाव बहुत गहरा था और वे दुनिया भर में पहुंचे।” सेना प्रमुख ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की दो महिला अधिकारियों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का उदाहरण दिया, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में व्यापक चर्चा हुई। उन्होंने बताया, “जो लोगो आप पूरी दुनिया में देखते हैं, वह एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक एनसीओ ने बनाया था।”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के उत्तरी छोर पर पाकिस्तान सीमा के साथ किया गया एक सैन्य अभियान था, जिसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों के जवाब में अंजाम दिया गया था। जनरल द्विवेदी ने कहा कि, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक खुफिया-आधारित अभियान था, जो सैन्य दृष्टिकोण से एक नए प्रकार के अभियान के रूप में उभरा। उन्होंने इसकी तुलना शतरंज के खेल से करते हुए कहा, “हम नहीं जानते थे कि दुश्मन अगला कदम क्या उठाएगा, और हम भी नहीं जानते थे कि हमारा अगला कदम क्या होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि, “यह एक प्रकार का ‘ग्रे-ज़ोन’ था, जहां हम कोई पारंपरिक सैन्य रणनीति का उपयोग नहीं कर रहे थे, लेकिन यह आम तौर पर युद्ध के करीब था। इस तरह के अभियानों में हर कदम बहुत हिसाब से उठाया जाता है, जहां प्रतिद्वंद्वी की हर बारीक बात को समझकर निर्णय लेना पड़ता है।”

जनरल द्विवेदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना के निर्णय लेने की स्वतंत्रता द्वारा सुनिश्चित हुई थी। उन्होंने याद करते हुए कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत सरकार की तरफ से रक्षा मंत्रालय ने एक स्पष्ट संदेश दिया था।” 23 अप्रैल को, पाकिस्तान की सीमा पर हुए पहलगाम नरसंहार के बाद, भारतीय सेना को बेहद मजबूत प्रतिक्रिया देने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।

“एक दिन बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुखों के साथ बैठकर कहा, ‘अब और सहन नहीं किया जाएगा। कुछ किया जाना चाहिए।’ इस तरह की राजनीतिक स्पष्टता और सेना पर विश्वास हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था।” सेना प्रमुख ने आगे कहा, “इस स्वतंत्रता ने हमारे सेना प्रमुखों को मैदान में रहकर निर्णय लेने की शक्ति दी।”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया। यह अभियान 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम इलाके में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 भारतीय पर्यटकों की हत्या के बाद भारत सरकार की प्रतिक्रिया के रूप में किया गया था। इस हत्याकांड के जवाब में, भारतीय सेना ने 9 आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले किए और 7 मई की सुबह 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया।

इसके अलावा, पिछले महीने ‘ऑपरेशन महादेव’ के माध्यम से पहलगाम नरसंहार में शामिल तीन आतंकवादियों को पकड़ा गया था। जनरल द्विवेदी ने इस अभियान की सफलता और भारतीय सेना की निरंतर तैयारी की सराहना की।

भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी के इस बयान और विश्लेषण ने पाकिस्तान की सैन्य रणनीति और प्रचार तंत्र के खिलाफ भारत के नए सैन्य दृष्टिकोण और रणनीतिक संदेश के महत्व को उजागर किया है। भारतीय सेना, राजनीतिक नेतृत्व की दृढ़ता के साथ, आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ प्रभावी प्रतिक्रिया देने में सक्षम हुई है और सैन्य दृष्टिकोण से एक नई सोच बनाई है, जो भविष्य में और भी मजबूत हो सकती है।