नई दिल्ली २४ फेरबरी: बैंगलुरू में जी-20 वित्त मंत्रियों और केन्द्रीय बैंक गवर्नर्स की पहली बैठक आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रारंभिक टिप्पणियों के साथ शुरू हुई। प्रधानमंत्री ने अपने रिकार्डिड संदेश में प्रमुख अर्थव्यवस्था और विश्व की मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता, विश्वास और वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि वापस लाने का आहवाहन किया। श्री मोदी ने विश्व को सशक्त भारत की अर्थव्यवस्था, भारतीय उपभोक्ताओं और उत्पादकों जो कि आशावादी और भविष्य के बारे में आश्वस्त हैं, उनसे प्रेरणा लेने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि विश्व में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, बढ़ती कीमतों, खाद्य और ऊर्जा चुनौतियों से प्रभावित विश्व के लोग वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत को सकारात्मक भावना का संचार करने में सक्षम होंगे। उन्होंने जी20 मंच के प्रतिभागियों का विश्व के कमजोर नागरिकों पर फोकस करने का आहवाहन किया।
श्री मोदी ने कहा कि केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था नेतृत्व के पास समावेशी एजेन्डा विश्व के विश्वास को प्रभावित करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की जी 20 की अध्यक्षता का विषय भी एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के समावेशी विजन को बढ़ावा देता है।
प्रौद्योगिकी ओर समस्याओं के समाधान का पता लगाने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का अपना अनुभव अन्य पक्षों के लिये फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने कहा कि
भारत ने स्पर्शरहित, सुचारू, अधिक सुरक्षित, अधिक विश्वास और अधिक कुशल डिजिटल स्वरूप विकसित किया है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में विकसित यूपीआई-यूनिफाइड पेमेन्ट इन्टरफेस, शासन, बढ़ावा दिए गए वित्तीय समावेश और जीवन सुगमता मूल परिवर्तन लाया है। उन्होंने प्रतिनिधियों और पयर्टकों को इन्टरफेस किया कि वे यूपीआई प्लेटफार्म का प्रयोग करें और हमारे डिजिटल प्लेटफार्म का पहला अनुभव लें। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इस क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करने में अत्यंत प्रसन्न होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने अपने सम्बोधन में अत्यंत आवश्यक चुनौतियों पर फोकस करने और पूर्ण समाधान निकालने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने महसूस किया कि जी 20 अपने सदस्यों की शक्ति को बढ़ावा देकर विश्व में लोगों के जीवन में परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने कहा कि जी 20 वैश्विक प्रमुख इंजन और नये विचारों का इन्क्यूबेटर हो सकता है। यह सामूहिक बेहतरी की शक्ति और ग्लोबल साउथ के बुद्धिमान लोगों की बात सुनने का मंच भी हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि विकासशील विश्व की चिंताओं और अपेक्षाएं वैश्विक मुददों के समाधान के प्रयासों का केन्द्र बिन्दु हो सकते हैं।
दो दिन की बैठक में जी-20 सदस्यों देशों, आमंत्रित व्यक्तियों और अंतराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 500 प्रतिनिधि भाग लेंगें। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्वरूप, सतत वित्त और बुनियादी ढांचे पर आज पहले सत्र में विचार-विमर्श किया जायेगा।