असम चुनाव: पहले चरण की अधिकांश सीटों पर चाय जनजाति का दबदबा

आठ पर जनजाति, चार पर अल्पसंख्यक व तीन सीटों पर हिंदीभाषी, बंगाली व नेपाली समुदाय के मतदाता निर्णायक

गुवाहाटी, 25 मार्च (हि.स.)। असम विधानसभा की 126 सदस्यीय सीटों के लिए तीन चरणों 27 मार्च, 01 अप्रैल और 06 अप्रैल में मतदान होने जा रहा है। पहले चरण में 12 जिलों की 47 सीटों पर 27 मार्च को 295 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 11537 पोलिंग स्टेशनों पर 8007043 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

पहले चरण की सीटों के जातीय समीकरण के अनुसार अधिकांश सीटों पर चाय जनसमुदाय के मतदाता ही निर्णायक स्थिति में हैं। यही कारण है कि भाजपा के नरेन्द्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक ने चाय बागानों में चुनाव प्रचार किया है। 08 सीटों पर जनजाति मतदाता, 04 सीटों पर अल्पसंख्यक तथा 03 सीटों पर हिंदीभाषी, बंगाली व नेपाली समुदाय के मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत तय करेंगे।

जनजातीय सीटों में से एक ढकुआखाना में 44 फीसद, धेमाजी में 36 फीसद, जोनाई में सर्वाधिक 77 फीसद, माजुली में 43 फीसद, गोहपुर में 29 फीसद, सोतिया में 26 फीसद, बिहपुरिया में 20 फीसद, लखीमपुर में 20 फीसद जनजाति मतदाता हैं। इनमें मुख्य रूप से मिसिंग, बोड़ो, सोनोवाल कछारी समाज के मतदाता हैं। इसके अलावा बिश्वनाथ में 09, ढेकियाजुली में 09, बोरसोला में 14, बोकाखात में 15, सरुपथार में 09, कलियाबर में 08 फीसद जनजाति मतदाता हैं। इन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला जनजाति समाज करेगा।

पहले चरण की चार सीटों धिंग, बटद्रवा, रुपहीहाट और सामागुरी पर अल्पसंख्यक समाज पूरी तरह से निर्णायक स्थिति में हैं। धिंग में 90 फीसद, बटद्रवा में 47 फीसद, रूपहीहाट में 81 फीसद तथा सामागुरी में 41 फीसद अल्पसंख्यक समाज के मतदाता हैं। 06 फीसद जनजाति मतदाता भी हैं। बटद्रवा में 03 फीसद बोड़ो मतदाता भी हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक मतदाताओं वाली सीटों में बिश्वनाथ में 16 फीसद, ढेकियाजुली में 15 फीसद, बोरसोला में 18 फीसद, तेजपुर में 23 फीसद, रंगापारा में 12 फीसद, कलियाबर में 14 फीसद, नाउबेचा में 30 फीसद, लखीमपुर में 13 फीसद अल्पसंख्यक मतदाता हैं जो चुनाव में खासा असर डालेंगे।

इसके अलावा तीन विधानसभा की डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और मार्घेरिटा ऐसी सीटें हैं, जहां पर हिंदीभाषी, नेपाली और बंगाली समाज के लोग निर्णायक स्थिति में हैं। डिब्रूगढ़ में 26 फीसद बंगाली हिंगू, 11 फीसद हिंदीभाषी, तिनसुकिया में 27 फीसद बंगाली हिंदू, 15 फीसद हिंदीभाषी और 04 फीसद नेपाली मतदाता हैं। मार्घेरिटा में 15 फीसद नेपाली, 14 फीसद बंगाली हिंदू तथा 03 फीसद हिंदीभाषी मतदाता हैं।

इसके अलावा हिंदीभाषी, बंगाली और नेपाली मतदाता अन्य 08 विधानसभा क्षेत्रों में भी जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल इन समाजों के अनुसार चुनाव प्रचार में अपनी रणनीतियों को तैयार कर मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हुए हैं।

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