लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के निर्देश पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकद धन कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन

नई दिल्ली, 12 अगस्त : दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद जली और अधजली हालत में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की घटना पर लोकसभा ने बड़ी कार्रवाई की है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंगलवार को तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच करना है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनींदर मोहन और वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य शामिल हैं।

गौरतलब है कि इस वर्ष 14 मार्च को, जब यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे, उनके आवास पर अचानक आग लग गई थी। आग बुझाने के बाद मौके से बड़ी मात्रा में जली और अधजली नकदी बरामद की गई थी। इस घटना के बाद 21 मार्च को सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा। अगले ही दिन वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए जवाब सौंपा। इसके पश्चात सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक इन-हाउस जांच समिति का गठन किया, जिसने पूरे मामले की जांच कर सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर रिपोर्ट के साथ फोटो और वीडियो भी अपलोड किए।

हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने इन-हाउस समिति की रिपोर्ट को खारिज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ‘XXX बनाम भारत सरकार’ नाम से याचिका दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह उनकी याचिका खारिज कर दी और उनके आचरण पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सिर्फ एक “डाकघर” नहीं हो सकते, बल्कि उनका देश के प्रति कर्तव्य है कि वे न्यायपालिका में अनुशासन सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि न्यायमूर्ति वर्मा ने पहले ही इन-हाउस समिति की वैधता को क्यों नहीं चुनौती दी और बाद में अदालत क्यों आए।

इन घटनाक्रमों के बीच अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा गठित तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच पैनल से यह संकेत मिलता है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की तह तक जाकर निष्पक्ष जांच की जाएगी। आने वाले समय में यह रिपोर्ट इस प्रकरण के भविष्य को तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।