Terrorist :बिहार: फुलवारीशरीफ आंतकी माड्यूल मामले में प्रदेश के 30 ठिकानों पर एनआईए की छापेमारी

-छापेमारी में दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर और नालंदा से मिले कई अहम दस्तावेज

पटना, 08 सितम्बर (हि.स.)।राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पटना के फुलवारीशरीफ आंतकी माड्यूल मामाले में गुरुवार को बिहार के 30 से अधिक ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की। इन छापेमारी में एनआईए को मधुबनी, दरभंगा, नालंदा और मुजफ्फरपुर में कुछ अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं। कुछ को एनआईए ने गिरफ्तार भी किया है।

पटना के फुलवारी शरीफ से सामने आए पीएफआई कनेक्शन को लेकर एनआईए ने बिहार में आज छापेमारी की है।इसमें पटना के फुलवारी शरीफ के अलावा वैशाली, मधुबनी, सारण, अररिया, नालंदा, मधुबनी दरभंगा और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। अररिया के जोकीहाट में एसडीपीआई के प्रदेश महासचिव एहसान परवेज घर भी एनआईए पहुंची।

सारण जिले में जलालपुर के माधवपुर पंचायत के रुदलपुर गांव निवासी सरकारी शिक्षक परवेज आलम के घर पर एनआईए की टीम ने छापेमारी की। छापेमारी में स्थानीय पुलिस बल भी बड़ी संख्या में मौजूद रहा। एनआईए की टीम ने यहां तीन घंटे से ज्यादा देर तक घर में पूछताछ की । फुलवारी थाना में दर्ज एफआईआर में परवेज का नाम सामने आया था। उस समय एनआईए ने बताया था कि आरोपित पीएफआई का एक्टिव मेंबर है। एनआईए परवेज आलम को अपने साथ स्थानीय जलालपुर थाना ले गयी।

मुजफ्फरपुर जिले में एनआईए की टीम ने सकरा थाना के गौरीहार में मजरूल इस्लाम के घर पर छापेमारी की। उसका नाम आतंकी संगठन पीएफआई से जुड़ा था। पटना में पकड़े गए पीएफआई के सदस्यों ने मझरूल समेत 26 का नाम एनआईए को बताया था। इसके बाद यह दूसरी बार है, जब एनआईए की टीम मजरूल के घर पहुंची। यहां सिर्फ उसकी मां जमीला खातून और भाभी जरीना खातून मौजूद थी। सकरा थाने की पुलिस भी साथ में थी।

टीम ने ढाई घंटे तक मजरूल के घर में खोजबीन की। गोदरेज, ट्रंक और अलमीरा भी खंगाला।टीम के हाथ सिर्फ उसकी भाभी का एक बैंक पासबुक लगा। इसे लेकर टीम अपने साथ निकल गई। छापेमारी के बाद एनआईए के अधिकारियों से मीडियाकर्मियों ने बात करने की कोशिश की लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। कहा कि अभी हमलोग कुछ भी बोलने के लिए अधिकृत नहीं है। मजरूल की भाभी ने बताया कि मजरूल बेकसूर है। अगर उसके खिलाफ जांच है तो मेरा पासबुक क्यों ले गई ? जब मीडिया ने उनसे पूछा की एकाउंट में कितने रुपये हैं तो उन्होंने कहा कि पैसा नहीं है।

वैशाली जिले में एनआईए टीम ने रियाज के घर रेड किया। रियाज महुआ से 2015 और 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुका है। रियाज ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया पार्टी के टिकट पर महुआ से चुनाव लड़ा था। रियाज पीएफआई का प्रदेश कोषाध्यक्ष है। रियाज 2008 से पीएफआई का सक्रिय सदस्य है। वह 2013 में पीएफआई के प्रदेश कमेटी में हुआ था शामिल।

नालंदा जिले में सोहसराय थाना क्षेत्र के खासगंज मोहल्ले में एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष शमीम अख्तर के घर एनआईए की छापेमारी के बाद शमीम अख्तर के छोटे भाई मो. दानिश को टीम अपने साथ ले गई है। मधुबनी जिला के लदनिया प्रखंड के मिर्जापुर काशी टोल में मोहम्मद जशीम के घर में एनआईए टीम ने छापेमारी की। कटिहार के हसनगंज में महबूब नदवी के आवास पर एनआईए की टीम ने छापेमारी की।महबूब नदवी भी पीएफआई से जुड़ा बताया जा रहा है। रामपुर पंचायत के मोजफ्फर टोला गांव के उसके घर की तलाशी ली गई।

पटना के फुलवारी शरीफ के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में भी एनआईए ने कार्रवाई की। फुलवारी के मिलकियाना मोहल्ला एवं भनपुरा ग्रामीण इलाके में टीम पहुंची। यहां पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े संदिग्धों की तलाश की जा रही है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बात को कोई भी बताने को तैयार नहीं है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 31 जुलाई को भी रानीगंज में एनआईए ने छापेमारी की थी। मिर्जापुर पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 13 के सरफराज नाम के युवक को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, अररिया एसपी के आवास पर उससे पांच घंटे की पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था। 11 जुलाई को फुलवारी शरीफ के नया टोला से पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े लोगों के अड्डे पर पटना पुलिस ने छापेमारी की थी। पुलिस ने इस मामले में अलग-अलग जगहों से चार लोगों को गिरफ्तार किया था।

इसमें खुलासा हुआ था कि इनके निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही नहीं, पूरे देश की व्यवस्था भी थी।भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश के लिए इन लोगों ने सात पेज का एक्शन प्लान बनाया था, जिसमें लिखा था- 10 प्रतिशत मुस्लिम साथ दें तो बहुसंख्यक घुटनों पर आ जाएंगे। इनकी योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से दलित-ओबीसी को अलग करने की भी थी। इस मामले में फुलवारी शरीफ थाना प्रभारी के बयान के आधार पर बिहार के अन्य जिलों से 26 लोगों को नामजद किया गया था। इस मामले में अभी भी 22 लोग पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। बाद में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया था।

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