नई दिल्ली, 05 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य के भेदभाव मुक्त समाज के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार भी दलित और पिछड़ों के लिए कार्य कर रही है। भेदभाव से मुक्त सबका विकास और सामाजिक न्याय सुनिश्चित कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार शाम हैदराबाद में ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ प्रतिमा राष्ट्र को समर्पित की। 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी प्रतिमा 11वीं सदी के भक्ति शाखा के संत रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है। श्री रामानुजाचार्य ने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री रामानुजाचार्य का मानना था कि जाति नहीं बल्कि गुणों से मनुष्य का कल्याण होता है। उन्होंने सिखाया की सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी वास्तविक शक्ति का परिचय पाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक समय के सामाजिक न्याय के नायक डॉक्टर अंबेडकर ने भी श्री रामानुजाचार्य के कार्यों की प्रशंसा की थी। उनकी विशाल मूर्ति आज देश को समानता का संदेश दे रही है। भारत सरकार भी आज सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ भविष्य की नींव रख रही है। सबका विकास जो भेदभाव से रहित हो, सबका विकास जिसमें समाजिक न्याय सुनिश्चित हो। सरकार का प्रयास है कि सदियों से प्रताड़ित लोग आज विकास के भागीदार बने। इसके लिए देश एकजुट होकर प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से सरदार पटेल को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत की एकता शक्ति की बुनियाद पर नहीं बल्कि समानता और समादर के सूत्र से सृजित होती है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ देश को एकता की शपथ दिला रही है और रामानुजाचार्य की ‘स्टैचू ऑफ इक्वलिटी’ समानता का संदेश दे रही है। यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है।
इस दौरान सरदार पटेल के हैदराबाद रियासत को भारत में सम्मिलित करने के योगदान का भी उन्होंने जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हैदराबाद के नागरिक सरदार पटेल की दीर्घ दृष्टि, सामर्थ्य और आन-बान-शान के लिए उनकी कूटनीति से भलि-भांति परिचित हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान वसंत पंचमी की शुभकामनायें देते हुए कहा कि जगत गुरु रामानुजाचार्य का ज्ञान आज विश्व का पथ प्रदर्शन कर रहा है। ज्ञान के क्षेत्र में रामानुजाचार्य का योगदान उल्लेखनीय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में किसी विचार को स्वीकारा और अस्वीकारा जाता है लेकिन भारत की ज्ञान परंपरा खंडन, मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर चीजों को देखती है। भारत में द्वैत और अद्वैत दोनों दर्शन मौजूद हैं। ज्ञान की इसी परंपरा को आगे ले जाते हुए श्री रामानुजन ने विशिष्ट अद्वैतवाद का दर्शन दुनिया को दिया।
उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य ने परस्पर विरोधाभासी विचारों को एक सूत्र में पिरोया। उनके ज्ञान ने सामान्य मानवीय को उनसे जोड़ा। उन्होंने बताया कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। सुधार के लिए जड़ों से दूर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि वास्तविक शक्ति का परिचय पाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की परंपरा रही है कि समाज के सुधार के लिए समाज में से ही लोग सामने आते हैं। ऐसे सुधारकों को उस कालखंड में भले ही स्वीकृति ना मिले लेकिन जब समाज उनके ज्ञान को समझता है तो उनकी स्वीकृति तेजी से बढ़ने लगती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि रामानुजाचार्य का यह समारोह आजादी के 75 वर्ष में मनाया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम औपनिवेशिक मानसिकता से लड़ाई और ‘जियो और जीने दो’ के विचार से प्रेरित थी। इसमें एक तरफ नस्लीय श्रेष्ठता और भौतिकवाद था तो दूसरी तरफ मानवता और अध्यात्म में आस्था थी।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान तेलुगु भाषी लोगों के देश की एकता में योगदान का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने तेलुगु फिल्मों को देश और दुनिया में मिल रही ख्याति और उनके देश की एकता में योगदान का भी जिक्र किया।
‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ प्रतिमा ‘पंचलोहा’ से बनी है और इसमें पांच धातुओं: सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और दुनिया में बैठने की अवस्था में सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है।
इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो श्री रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं। इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की है।
कार्यक्रम के दौरान श्री रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्रीडी प्रेजेंटेशन मैपिंग का भी प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री ने 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) के समान मनोरंजनों का भी दौरा किया जो स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी के चारों ओर बने हुए हैं।
श्री रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी का उद्घाटन, श्री रामानुजाचार्य की वर्तमान में चल रही 1000 वीं जयंती समारोह यानी 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोहम का एक भाग है।