कोरोना काल में काफी कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया भी: प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आप जो पढ़ते हैं, वह आपके जीवन की सफलता या विफलता का पैमाना मात्र नहीं हो सकता, बल्कि आप जीवन में जो कुछ करेंगे, वही आपकी सफलता और असफलता को तय करेंगे। बुधवार को देश में बोर्ड परीक्षाओं से पहले प्रधानमंत्री ने पहले वर्चुअल ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल में अगर काफी कुछ खोया है, तो बहुत कुछ पाया भी है। 

विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बच्चों के साथ उसकी पीढ़ी की बातों में दिलचस्पी दिखाएंगे, उसके आनंद में शामिल होंगे तो आप देखिएगा पीढ़ी का अंतर खत्म हो जाता है। 

कोरोना काल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में अगर काफी कुछ खोया है, तो बहुत कुछ पाया भी है। इस दौरान एक बात यह हुई है कि हमने अपने परिवार में एक-दूसरे को ज्यादा नजदीक से समझा है। कोरोना ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मजबूर किया, लेकिन संवेदना के स्तर पर पारिवारिक संबंधों को अधिक मजबूत किया है।

परीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपका मन अशांत और चिंता में रहेगा तो इस बात की संभावना बहुत ज्यादा होगी कि जैसे ही आप प्रश्न-पत्र को देखेंगे तो कुछ देर के लिए सबकुछ भूल जाएंगे। इसका सबसे अच्छा उपाय यही है कि आपको अपना सारा तनाव परीक्षा-हॉल के बाहर छोड़कर जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभिभावकों और शिक्षकों को सलाह दी कि वे परीक्षा को लेकर बच्चों पर मानसिक दबाव न बनाएं, बल्कि उन्हें हर तरह से प्रोत्साहित करें। बच्चों के सामने परीक्षा का हौवा खड़ा करने से उनका मनोबल प्रभावित होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पहले वर्चुअल ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में कहा कि बच्चों में कभी भी भय पैदा न करें। ऐसा आसान लगता है, लेकिन इससे निगेटिव मोटिवेशन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जैसे ही आपके द्वारा खड़ा किया गया हौवा खत्म होता है तो उसका मोटिवेशन भी समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की यह जिम्मेदारी है कि वह परिवार में तनाव मुक्त वातावरण तैयार करें तथा बच्चों में नकारात्मक मनोवृति की बजाय आशा और विश्वास को बढ़ावा दें।

प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहा कि वे बच्चों के अध्ययन के बारे में पर्याप्त ध्यान नहीं देते, बल्कि उनकी अंक तालिका या रिपोर्ट कार्ड के आधार पर मूल्यांकन करते हैं, जो उचित नहीं है। इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता के पास समय ही नहीं होता कि वे बच्चों के साथ बिता सकें। ऐसे में वे सिर्फ बच्चों के रिपोर्ट कार्ड तक ही सीमित रह जाते हैं और अपने ही बच्चे के बारे में नहीं जान पाते।

प्रधानमंत्री ने कहा, “अभिभावकों को बच्चों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए। परीक्षा जीवन में महज एक पड़ाव है। यह सब कुछ नहीं है। इसे लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है। परीक्षा के नतीजों से बच्चों की प्रतिभा का आकलन नहीं करना चाहिए।” प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे यह उम्मीद न रखें कि बच्चे भी उनकी जैसी ही जिंदगी जियें। मूल्यों को कभी भी बच्चों पर थोपने का प्रयास न करें। मूल्यों को जी कर प्रेरित करने का प्रयास करें। 

कठिन कार्यों को करने की प्रेरणा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुश्किल लगने वाले विषयों से दूर मत भागिए, बल्कि उसे पहले सुलझाना चाहिए। जब मैं मुख्यमंत्री था और फिर प्रधानमंत्री बना तो कठिन चीजों से ही अपना कार्य शुरू करता हूं। कठिन चीजों से ही अपने दिन की शुरुआत करना पसंद करता हूं। कठिन चीजों को पूरा करने के बाद आसान चीजें तो सहज ही पूरी हो जाती हैं।

इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि आपको भले कुछ विषय मुश्किल लगते हों, यह आपके जीवन में कोई कमी नहीं है। आप बस ये बात ध्यान रखिए कि मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर मत भागिए।

खाली समय के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीवन में खाली समय एक अवसर है। यह अपनी जिज्ञासा को शांत करने और रचनात्मकता को बढ़ाने का समय होता है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि खाली समय को खाली मत समझिए, यह खजाना है। खाली समय एक सौभाग्य है। खाली समय एक अवसर है। आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए। जब आप खाली समय निकाल पाते हैं तो आपको उसका सबसे ज्यादा महत्व पता चलता है इसलिए आपका जीवन ऐसा होना चाहिए कि जब आप खाली समय निकाल पाएं तो वह आपको असीम आनंद दे। हालांकि सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएंगी। अंत में रिफ्रेश-रिलेक्स होने के बजाए आप तंग हो जाएंगे। थकान महसूस करने लगेंगे।

छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समस्या तब होती है जब हम परीक्षा को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं। इसे जीवन-मरण का प्रश्न बना देते हैं। परीक्षा तो जीवन को गड़ने का एक अवसर है। परीक्षा एक मौका है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें।

उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना मरीज की नई लहर के कारण बोर्ड परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में काफी चिंता है। चिंता के इस वातावरण में प्रधानमंत्री ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद कर विश्वास का भाव जगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की वजह से आप से सीधे तौर पर न मिल पाना मेरी लिए बड़ी छति है।

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