गृहमंत्री देशमुख पर आरोपों की जांच के लिए गठित समिति का कोई औचित्य नहीं : उपाध्ये

मुंबई, 31 मार्च (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय समिति को कोई अधिकार नहीं है। इसलिए इस समिति की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। 
उपाध्ये ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर रंगदारी का आरोप लगाते हुए 11 दिन पहले मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले की बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के मद्देनजर राज्य सरकार ने मंगलवार को ही हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कैलाश चांदीवाल की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर दी। उपाध्ये ने कहा कि राज्य सरकार ने इस समिति का गठन जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत नहीं किया है, इसलिए इस समिति के पास किसी को जांच के लिए बुलाने का अधिकार नहीं है। समिति ने अगर किसी को जांच के लिए बुलाया तो उसे इस जांच समिति के सामने उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं है, इसलिए इस जांच समिति का कोई औचित्य नहीं है। भाजपा प्रवक्ता उपाध्ये ने कहा कि गृहमंत्री देशमुख के खिलाफ लगे आरोपों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से करवाए जाने का कोई औचित्य नहीं है, इसका कारण एसीबी खुद गृहमंत्री के अंतर्गत ही है। उपाध्ये ने कहा कि राज्य सरकार गृहमंत्री देशमुख की जांच के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। इस जांच समिति से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। 

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