लंदन, 17 मार्च (हि.स.)। ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए अमेरिका का साथ देने को तैयार है ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में जॉनसन सरकार ने अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव किया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने विदेश नीति का विस्तार करते हुए अमेरिका के साथ संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक न्यूक्लियर वेपन्स में वृद्धि के साथ ही रूस को प्रमुख खतरा बताया गया है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन की विदेश और रक्षा नीति की समीक्षा में रोडमैप तैयार किया गया है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आपसी सहयोग और मुक्त व्यापार पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में किस तरह अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।
प्रस्तावित विदेश नीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को दुनिया का केंद्र बताया गया है। इसी के साथ सरकार ने इस क्षेत्र में विमानवाहक पोत की तैनाती की भी योजना बनाई है।Britain will support America against China in the Indo-Pacific regionविदेश मंत्री डॉमिनिक रॉब ने स्वीकार किया कि ब्रिटेन ने बीजिंग के प्रभाव को कम करने के लिए जो भी कदम उठाए हैं, वह बहुत प्रभावी नहीं रहे हैं। अब इसके लिए दूसरे देशों के सहयोग से इसे प्रभावी बनाने के लिए काम किया जाएगा। रॉब ने बताया कि चीन के प्रभाव को कम करने के लिए ना केवल यूरोपीय और अमेरिकी देशों को साथ लाया जाएगा बल्कि दूसरे अन्य देशों की भी मदद ली जाएगी। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन जनवरी में स्थगित भारत यात्रा को अप्रैल में पूरा करेंगे।
2020 के मध्य में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन परमाणु हथियारों की सीमा को 260 तक कर दिया। अब इस सीमा को फिर चालीस प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। ऐसा बढ़ते वैश्विक आतंकवाद को रोकने की दिशा में प्रभावी कदम के तौर पर किया गया है।