भर्ती घोटाला पकड़ में आने के बाद सेना की चयन प्रक्रिया पर उठे सवाल
– मामले की गहराई तक जाने के लिए सेना ने खुद ही सौंपी सीबीआई को जांच
नई दिल्ली, 17 मार्च (हि.स.)। सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) के जरिए सैन्य अधिकारियों की भर्ती में घोटाला पकड़ में आने के बाद सेना की चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। आंतरिक जांच में इस ‘भर्ती घोटाला’ के पकड़ में आने के बाद सेना ने खुद इस मामले की जांच सीबीआई को देने का फैसला किया है। इसके साथ ही भर्ती प्रक्रिया की नए सिरे से समीक्षा भी की जायेगी। सेना सीबीआई की जांच के जरिए इस मामले की गहराई तक जाना चाहती है।
सेना की आंतरिक जांच पिछले महीने तब शुरू हुई थी, जब सैन्य खुफिया शाखा को एसएसबी के जरिए अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान मेडिकली अनफिट करार दिए गए उम्मीदवारों से नई दिल्ली के बेस अस्पताल में रिश्वत लिए जाने का सुराग लगा। सेना ने अपनी आंतरिक जांच में पाया कि इस भर्ती घोटाले में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर स्तर के अनेक अधिकारी शामिल हैं। आरोप है कि ऐसे उम्मीदवारों के परिजन के जरिए भी रिश्वत की रकम ली गई है। आरोप के मुताबिक, सबसे पहले एसएसबी सेंटर, कपूरथला में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान, लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह और मेजर भावेश ने अधिकारियों की भर्ती में मेडिकल अनफिट पाए गए उम्मीदवारों को अपने जाल में फंसाया। इसके बाद बेस अस्पताल और फील्ड अस्पताल में कार्यरत एक मेजर और 02 जवानों ने उनके लिए फर्जी फिटनेस प्रमाण पत्र तैयार किये।
जांच में यह भी पता चला कि दिल्ली के अलावा कपूरथला और अन्य सैन्य अस्पतालों से फिटनेस प्रमाणपत्र तैयार कराकर चयन बोर्ड से मेडिकली फिट घोषित कराने के नाम पर इन सभी आरोपियों ने उम्मीदवारों से मोटी रिश्वत ली। एजी शाखा की सतर्कता विंग की गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान, लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह और मेजर भावेश ने 10-15 उम्मीदवारों से रिश्वत ली थी। लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान को एसएसबी सेंटर कपूरथला में तैनात किया गया था लेकिन वह इस समय अध्ययन अवकाश पर विजाग (विशाखापत्तनम) में हैं। सेना की अपनी जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आए कि सेना का हवलदार राजेश कुमार मेडिकली अनफिट करार दिए गए उम्मीदवारों की सूची एकत्र करता था और मेरिट सूची बनने से पहले फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर बोर्ड से क्लियर करा देता था।
सेना को अपनी जांच के दौरान पता चला था कि रिश्वत की रकम नगदी के अलावा बैंक चेक के जरिए भी दी गई थी। कुछ मामलों में तो बैंक से भी दूसरे बैंक में रकम ट्रांसफर की गई थी। मिलिट्री इंटेलिजेंस ने कई यूपीआई पेमेंट को ट्रैक करने में कामयाबी हासिल की और साथ ही वीडियो फुटेज भी देखे। सेना की आंतरिक जांच में पता चला था कि चेन्नई स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटा) से प्रशिक्षण हासिल करने वाले दो कैडेट्स और लेफ्टिनेंट नवजोत सिंह कंवर ने स्पष्ट रूप से चयन बोर्ड को रिश्वत दी थी। यह लेफ्टिनेंट भ्रष्ट आचरण के माध्यम से दिसम्बर, 2020 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) से क्लियर हुआ था। बाद में यह गैर-कमीशन अधिकारी (एनसीओ) सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का अधिकारी बनने में कामयाब रह। उसने मुख्य अभियुक्त लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी को लगभग 10 लाख रुपये का भुगतान किया था।
जांच में यह भी पता चला है कि बेंगलुरु के एसएसबी केंद्र में तैनात एक लेफ्टिनेंट कर्नल कपूरथला केंद्र के आरोपितों से इसलिए संपर्क में था ताकि बेंगलुरु के कुछ उम्मीदवारों को मेडिकल बोर्ड से क्लियर कराया जा सके। हवलदार पवन कुमार पर अपने बेटे नीरज कुमार को दिसम्बर, 2020 में एसएसबी से क्लियर कराने के लिए पैसे देने का आरोप है। सीबीआई की प्राथमिकी में सेना के अधिक कर्मियों का उल्लेख किया गया है, जिसमें 422 फील्ड अस्पताल दिल्ली छावनी के मेजर अमित फागना शामिल हैं। सैन्य खुफिया विभाग (एमआई) की जांच के बाद संदेह हुआ कि यह भर्ती घोटाला और ज्यादा गहरा हो सकता है, इसलिए तह तक जाने के लिए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए गए। इस पर सेना की अनुशासन एवं सतर्कता शाखा के ब्रिगेडियर वीके पुरोहित ने 28 फरवरी, 2021 को सीबीआई में एक शिकायत दर्ज कराई।
सीबीआई ने सेना की शिकायत पर इस भर्ती घोटाले के सिलसिले में 17 सैन्यकर्मियों सहित 23 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनमें छह लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी और उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। सीबीआई ने 15 मार्च को देश भर में कुल 30 जगहों पर छापेमारी कर जांच-पड़ताल की। इसमें दिल्ली कैंट स्थित बेस अस्पताल, सेना के कपूरथला, भठिंडा, दिल्ली, कैथल, पलवल, लखनऊ, बरेली, गोरखपुर, विशाखापत्तनम, जयपुर, जोरहाट और चिरांगों स्थित अन्य प्रतिष्ठान शामिल हैं। सीबीआई को छापेमारी के दौरान इस घोटाले से सम्बंधित कई दस्तावेज भी मिले हैं।
2021-03-17