नई दिल्ली, 13 मार्च (हि.स.)। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने नव-निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि संसद सदस्य के रुप में बेहतर योगदान देने के लिए देश की स्थिति की गहरी समझ होना एक आवश्यक शर्त है। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के दौरान सदन में सदस्यों को नियमित उपस्थित रहना चाहिए और महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेना चाहिए।
नायडू शनिवार को राज्यसभा के नव-निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के लिए दो दिवषीय विषय-बोध कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपनी सफलता का राज साझा करते हुए कहा कि वह अपने संसदीय जीवन में नियमित रुप से सदन में उपस्थित रहे।
सभापति ने कहा कि यदि समाज बिना नियम-कायदे के चलने लगे तो अराजकता फैल जाती है। यही बात संसद के सदन पर लागू होती है। सदन की कार्यवाही के दौरान सीमित समय का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि सदन में कोई कितने समय तक बोलता है। महत्वपूर्ण यह है कि वह क्या बोलता है।नायडू ने कहा कि वह कार्यवाही के दौरान अक्सर ही देखते हैं कि सदस्य अपने विचार रखते हुए बातों को दोहराते हैं।
नए सदस्यों को उच्च सदन की कार्यवाही औऱ उसकी महत्ता का पाठ पढ़ाते हुए नायडू ने कहा कि सदन में विपक्ष की भूमिका बहूत महत्वपूर्ण होती हैै। विपक्ष को सरकार की आलोचना करने का अधिकार और प्रमुख कर्तव्य है। उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष को सरकार की आलोचना करते समय विश्वसनीय तथ्यों पर जोर देना चाहिए इससे वह ज्यादा प्रभावी होगी।
नायडू ने कहा कि राज्यसभा को उच्च सदन के रूप में जाना जाता है। देश भर के युवा सदन की कार्यवाही देख कर प्रेरणा लेते हैं। ऐसे में सदस्य़ों का आचरण सदैव मर्यादित होेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद, विधानमंडल राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
उन्होंने प्रशासन कामकाज में मातृभाषा का उपयोग बढ़ाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे आम लोगों से जुड़ने में मदद मिलती है।
राज्यसभा सभापति ने सदस्यों से कहा कि अगर वह तकनीकी ज्ञान लेने से संकोच और हिचक करते हैं तो उन्हें इससे बाहर आना चाहिए औऱ बढ़चढ़ कर तकनीकी की जानकारी लेनी चाहिए। आज के इस दौर में तकनीकी जानकारी बहुत मायने रखती है।