दर्शन व क्रांति के सम्मुच्चय हैं स्वामी विवेकानंद : श्रीनिवास
– एक्टिविज्म का नहीं, इंटेलेक्चुअल अफोर्ड का हो मिशन : मिलिंद
लखनऊ, 13 मार्च (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की दो दिवसीय अखिल भारतीय छात्रा कार्यशाला एवं बैठक को शनिवार को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि स्वामी विवेकानंद दर्शन और क्रांति के सम्मुचय हैं। श्रीनिवास ने यहां आयोजित कार्यशाला के समसामयिक वैचारिक प्रश्न और समाधान विषयक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि शिकागो की धर्मसभा में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू धर्म को वैश्विक पटल पर रखने का कार्य किया। सुभाष चंद्र बोस कहते थे कि यदि आज विवेकानंद होते तो मैं अपना जीवन उनके चरणों में समर्पित कर देता। वहीं, रविन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा है कि भारत को समझना है तो विवेकानंद को समझो।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभाविप की पहुंच पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जाएंगे। वहीं, देश में निजीकरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, व्यापारीकरण के खिलाफ हैं। अभाविप में छात्राओं की भूमिका पर उन्होंने कहा कि छात्राएं मुख्य दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। हम इस योजना पर कार्य कर रहे हैं कि भविष्य में अधिक संख्या में प्रांत संगठन मंत्री (प्रदेश स्तर पर पूर्णकालिक) के दायित्व पर छात्राओं की भूमिका हो। छात्राओं के प्रति समाज को सकारात्मक चिंतन करने के लिए अभाविप कार्य कर रही है। तीन तलाक कानून के सवाल पर श्रीनिवास ने कहा कि अन्याय की बात किसी भी पंथ-मजहब में खत्म होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शबरीमाला, कृषि कानून, एनआरसी आदि मुद्दों पर वामपंथी ताकतें देश को गुमराह कर रही हैं। कम्युनिस्ट प्रासंगिक नहीं हैं और यूएस में फेल हो गये हैं। अभाविप का विचार सकारात्मक है।
अभाविप का वैचारिक अधिष्ठान विषयक सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्य परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने कहा कि हम शैक्षिक परिवार मानते हैं। यह अधिष्ठान परिवार संकल्पना से है। अभाविप का अधिष्ठान हिन्दुत्व है। उन्होंने कहा कि हिन्दू दर्शन, हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू सभ्यता को मिलाकर हिन्दुत्व बनता है। भारत की आत्मा हिन्दुत्व है। मनुष्य को मनुष्य, समाज, प्रकृति से संबंध जोड़ने की प्रक्रिया धर्म है।
भारत का वर्ल्ड व्यू अद्वैत, पश्चिम का वर्ल्ड व्यू सेमेटिकमराठे ने कहा कि पश्चिम का वर्ल्ड व्यू सेमेटिक है। उनके यहां एक पुस्तक, एक देव की संकल्पना है। उनके यहां देव और शैतान हैं। शैतान देव नहीं बन सकता और देव के शैतान बनने की संकल्पना नहीं है। उनके यहां दोनों के बीच झगड़ा है। उन्होंने बताया कि भारत का वर्ल्ड व्यू अद्वैत है। जो विविधताएं दिखती हैं, वे वास्तव में हैं नहीं। सभी में एकता है। पृथ्वी का प्रत्येक व्यक्ति एक ही तत्व से बना है। हम बोलते हैं कि माता भूमि’ पुत्रो अहं पृथिव्या:। हम मानते हैं कि सभी पृथ्वी के पुत्र हैं। यही एकता है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीनता को नकार कर मैक्समूलर और मैकाले विकृत करना चाहते थे। वे मानते थे कि भारत को तोड़ने के लिए उसकी पीढ़ियों को तोड़ना पड़ेगा। एक जीवन-एक मिशन का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि मिशन एक्टिविज्म का नहीं, इंटेलेक्चुअल अफोर्ड का होना चाहिए। चर्च एवं इस्लाम ने दूसरों को माना गलतमराठे ने कहा कि चर्च और इस्लाम के मजहबी विचारों का ही प्रभाव है कि इन दोनों ने स्वयं के विचारों को श्रेष्ठ माना। दूसरों को गलत माना और नष्ट करना चाहा। उन्होंने कहा कि साम्यवाद (कम्युनिज्म) और समाजवाद में पूर्ण रूप से समाधान नहीं है, कुछ न कुछ त्रुटि है। इनमें संपूर्णता नहीं है।