महाशिवरात्रि के अवसर पर वाशिंगटन डीसी में संगोष्ठी का आयोजन
- महाशिवरात्रि ने मूलशंकर को बनाया महर्षि दयानंद सरस्वती
वॉशिंगटन डीसी, 11 मार्च (हि.स.)। ‘वसुधैव कुटुंबकम् के उदारवादी विचार को मूर्त रूप देने में धार्मिक अन्धविश्वास बाधक हैं। ईसाई, मुसलमान तथा पौराणिक हिंदुओं में व्याप्त अनेक पाखंड व अंधविश्वास सच्चे ईश्वर की खोज तथा मानवीय एकता के बीच दीवार बनकर खड़े हैं।’
यह विचार भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ. मोक्षराज ने आर्यसमाज मेट्रोपॉलिटन वाशिंगटन डीसी द्वारा आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में व्यक्त किए। वे महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित “योगविद्या एवं धार्मिक पाखंड” विषय पर आयोजित वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
डॉ. मोक्षराज ने कहा कि धार्मिक अंधविश्वासों के कारण विश्व का मानव-समुदाय एक नहीं हो पा रहा है तथा आतंकवाद, घृणा, साम्राज्यवाद एवं वर्चस्व की लड़ाई के बीज भी सांप्रदायिक कट्टरता एवं मूर्खतापूर्ण धारणाओं में छिपे हुए हैं। डॉ. मोक्षराज ने कहा कि गुजरात के टंकारा में जन्मे मूलशंकर से महान सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती बने। उनके लिए 14 वर्ष की आयु में यही महाशिवरात्रि बोधरात्रि सिद्ध हुई थी। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश में विश्व के सभी संप्रदायों की सटीक एवं तार्किक समीक्षा की है, जिसके आधार पर सभी लोग अपने मत-मज़हब की बुराइयों को दूर कर सकते हैं।
वर्जीनिया में रहने वाले अमेरिकी अर्थशास्त्री राजीव शर्मा ने बताया 1910 के दशक में कुछ अमेरिकी विद्वानों ने महर्षि दयानंद सरस्वती एवं उनके धार्मिक, सामाजिक एवं क्रांतिकारी संगठन आर्यसमाज पर शोध कार्य किए थे। उसके आधार पर उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती न होते तो भारत के अनेक प्रसिद्ध बुद्धिजीवी भी अंग्रेजों के प्रभाव में आकर ईसाई बन गए होते। महर्षि दयानंद सरस्वती के राष्ट्रवादी विचारों एवं योजनाओं से अंग्रेज़ी हुकूमत भी घबराती थी तथा महर्षि दयानंद सरस्वती को विष देकर मारने के षड्यंत्र में आज भी कुछ रहस्य छिपे हुए हैं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता आर्यसमाज वाशिंगटन डीसी के प्रधान सत्यपाल खेड़ा ने की तथा कार्यक्रम का संचालन आर्यसमाज की मंत्री अनुपमा शर्मा ने किया। आशा वरदान, नवनीत शर्मा एवं मैरीलैंड से अलका बत्रा ने ईश्वर भक्ति एवं ऋषिमहिमा के गीत सुनाए । संगोष्ठी में राजेन्द्र शर्मा गौड़, उमा शर्मा, सुमन छाबड़ा, विवेक गुप्ता, सुनीता आर्या, विशवदेव सैनी, डॉ. सुमन वरदान, प्रणव शर्मा, दिव्या एवं तेजस्विनी आदि ने भी भाग लिया।