जबलपुर, 06 मार्च (हि.स.)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि देश की न्यायपालिकाओं को वह प्रतिष्ठा प्राप्त है कि आम आदमी यह विश्वास करता है कि न्यायपालिका से हर हाल में उसे न्याय मिलेगा। भारत की न्यायपालिका दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित न्यायपालिकाओं में से है, लेकिन भारत की सोच यहां तक सीमित नहीं है। भारत में कहा गया है कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, मन भी है। मन का सुख भी चाहिए। बुद्धि का सुख शिक्षा से आता है, लेकिन आत्मा का सुख केवल न्याय से मिलता है।
मुख्यमंत्री ने यह बातें शनिवार को जबलपुर में आयोजित ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने जबलपुर के मानस भवन में आयोजित ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक कार्यक्रम रहे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि त्वरित न्याय कैसे मिले, सस्ता न्याय और सुलभ न्याय कैसे मिले। इस दिशा में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए दक्ष मानव संसाधन की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि हम जो चिंतन करेंगे उसमें से निश्चित तौर पर बेहतर निष्कर्ष निकलेंगे। उन्होंने कहा कि पहले केवल क्रिमिनल और सिविल के मामले होते थे, लेकिन अब साइबर क्राइम के अनेक पक्ष हैं, जिस पर केवल न्यायपालिका को नहीं, प्रशासन और पुलिस को भी कई तरह की तैयारियां करनी पड़ेंगी। दक्ष मानव संसाधन हमें चाहिए, हमें आधुनिक तकनीक का उपयोग भी करना होगा, उस दिशा में हम प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा कि जितनी भी व्यवस्थाएं मानव सभ्यता के उदय के बाद बनीं हैं, अंतत: उनका एक ही लक्ष्य है, एक ही केंद्र है, आम आदमी को कैसे सुखी कर पाएं। रोटी, कपड़ा, मकान आदि की भौतिक आवश्यकताएं यदि पूरी हो जाएं तो मनुष्य सुखी हो जाएगा।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का स्वागत मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने गणेश प्रतिमा भेंट कर किया। वहीं, न्यायमूर्ति सुजय पॉल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नटराज की मूर्ति भेंट कर उनका स्वागत किया