अगरतला-अखौरा रेल परियोजना, नई सुबह का इंतजार

-रेल मार्ग के जरिए खुलेगा अनेक संभावनाओं का द्वार

अगरतला, 05 मार्च (हि.स.)। भौगोलिक परिस्थितियां निकट भविष्य में त्रिपुरा के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलेगी। बेशक इसके लिए पड़ोसी देश के प्रति भारत आभारी रहेगा क्योंकि बांग्लादेश के साथ रेल संपर्क के माध्यम से इस नई सुबह की शुरुआत होगी। साथ ही कई अन्य रास्ते खोले जा रहे हैं। इसके लिए संभवत: 31 मार्च तक इंतजार करना होगा। त्रिपुरा में निश्चिन्तोपुर और बांग्लादेश में गंगासागर के बीच रेल लिंक स्थापित करने के लिए तेज गति से काम होना नई संभावनओं के द्वार खोलने की ओर इशारा कर रहा है। 

त्रिपुरा को राष्ट्रीय मानचित्र पर आशाजनक स्थिति में लाने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान से कोई इंकार नहीं कर सकता। एक समय था, जब पहाड़ी राज्य त्रिपुरा जहां राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध होने से पूरे देश के साथ संचार संपर्क कट जाता था। अब परिस्थितियां बदली हैं, अगले एक साल के अंदर देश के अन्य राज्यों से जलमार्ग और सड़क मार्ग के जरिए त्रिपुरा पूरी तरह से जुड़ जाएगा। निश्चित रूप से त्रिपुरा को यह अवसर बांग्लादेश के माध्यम से मिलेगा। विशेष रूप से रेल संपर्क बहाल होने पर संपर्क व्यवस्था में वृद्धि होने के साथ ही दूरी में भी काफी कमी आएगी। साथ ही परिवहन की लागत कम हो जाएगी। इस कदम से व्यापारी और आम लोगों में बेहद ख़ुशी देखी जा रही है।

ऐतिहासिक अगरतला-अखौरा रेल परियोजना को 2013 में मंजूरी दी गई थी। यह निर्णय लिया गया था कि भारत सरकार बांग्लादेश और भारत के बीच रेल संपर्क स्थापित करने का सारा खर्च वहन करेगी। हालांकि, इस काम को शुरू करने में लगभग तीन साल लग गए। जुलाई 2016 में भारत के तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु और बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद मुजीबुल हक की सहमति पर त्रिपुरा में अगरतला-अखौरा दोहरी गेज रेल परियोजना के त्रिपुरा वाले हिस्से में काम शुरू किया गया। दूसरी ओर 10 सितम्बर, 2018 को भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव की उपस्थिति में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उद्घाटन किया।

परियोजना के प्रारंभिक चरण में, भारतीय हिस्से के निर्माण के लिए 560 करोड़ और बांग्लादेश वाले हिस्से के निर्माण के लिए 960 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। बाद में भारतीय हिस्से में काम के लिए आवंटन बढ़कर 740 करोड़ किया गया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, काम की गति बढ़ती गई। दोनों देशों के बीच मधुरता ने एक नया आयाम ले लिया है। अगरतला-अखौरा रेल परियोजना में यह योजना बनायी गयी थी कि ट्रेन सीधे अगरतला स्टेशन से बांग्लादेश के अखौरा तक जाएगी।

हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने फ़िलहाल गंगासागर स्टेशन को पूरी तरह से चालू करने का निर्णय लिया। यह बांग्लादेश में विभिन्न रेल मार्गों से आसानी से जुड़ने वाली अगरतला की ट्रेनों के लिए संभव करेगा। गंगासागर तक बांग्लादेश के विभिन्न बड़े शहरों के साथ एक रेलवे कनेक्शन है। इस मामले में रेल संचार द्वारा उस परियोजना में दूरी कम हो जाएगी।

अगरतला से निश्चिंतोपुर की दूरी 04 किमी., निश्चिंतोपुर से बांग्लादेश में गंगासागर की दूरी 08 किमी. और गंगासागर से अखौरा की दूरी 06 किमी. है। नतीजतन, बांग्लादेश के रेलवे मार्ग के मुख्य हिस्से से जुड़ने के लिए उस परियोजना में 06 किमी. की दूरी कम की जा रही है। इतना ही नहीं, रेल परियोजना शुरू होने के बाद बहुत कम समय में कोलकाता और बांग्लादेश के चिटागांग बंदरगाह और आशूगंज पोर्ट को जोड़ना संभव होगा।

रेलवे के अनुसार, बांग्लादेश के रास्ते अगरतला से कोलकाता की दूरी केवल 514 किमी. है। हालांकि, वर्तमान में अगरतला से कोलकाता की दूरी 1613 किमी. है। दूसरी ओर अगरतला से चिटागांग बंदरगाह की दूरी 213 किमी है और अगरतला से आशूगंज बंदरगाह की दूरी केवल 54 किमी. है। परिणामस्वरूप, इस रेल लाइन पर यातायात शुरू होने पर व्यापारियों को सबसे अधिक लाभ होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि बहुत कम दूरी तय कर सामानों को लाने से परिवहन लागत कम हो जाएगी। कम समय में आयात के दौरान खराब होने वाले उत्पादों के खराब होने की संभावना बहुत कम होगी। रेलवे अधिकारी के अनुसार, चिटागांग बंदरगाह से बड़े कंटेनरों को ट्रेन से अगरतला में लाया जा सकता है। उसमें व्यापारियों को अधिक लाभ होगा।

परियोजना के साथ जुड़े एक आधिकारिक प्रभारी ने दावा किया कि पहला फैसला अगरतला को अखौरा से रेल से जोड़ना था। हालांकि, वर्तमान में बांग्लादेश में विभिन्न रेलवे मार्गों के कनेक्शन के साथ अगरतला से गंगासागर तक रेलवे कनेक्शन आसानी से स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के 150 गज के क्षेत्र में मीटर गेज रेलवे लाइन बिछाने का काम किया गया है। इस मामले में बेशक यह सवाल उठ सकता है कि त्रिपुरा में ब्रॉड गेज रेलवे लाइन शुरू की गई है। 

रेलवे अधिकारी के अनुसार, बांग्लादेश के सभी हिस्सों में अभी तक ब्रॉड गेज नहीं है। खुलना, राजशाही कुछ रेलवे मार्गों को ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर दिया गया है। हालांकि, बांग्लादेश में मीटर गेज से ब्रॉड गेज में परिवर्तित होने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना में, मीटर गेज और ब्रॉड गेज प्रणाली एक साथ रखकर रेलवे लाइन स्थापित करने के लिए काम चल रहा है।

अधिकारी के अनुसार, प्रस्तावित निश्चिन्तोपुर रेलवे स्टेशन से कटीले तार की बाड़ तक जोरों पॉइंट पर रेलवे लाइन बिछाने का काम हो चुका है। दोनों पटरियां मीटर गेज और ब्रॉड गेज यहां पर लगा किए गए हैं। निश्चिन्तोपुर से अगरतला तक एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए पिलर निर्माण और अन्य सहायक कार्य चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर जीरो पॉइंट से गंगासागर तक रेलवे का काम धीमी गति से चल रहा है। बेशक, कोरोना स्थिति इसके लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कई पुलों का निर्माण किया जा रहा है क्योंकि वहां लगभग पूरे साल पानी का जमाव रहता है। उन्होंने दावा किया कि गंगासागर रेलवे स्टेशन पर काम फिलहाल ठप है। उनके अनुसार, इमिग्रेशन और कस्टम्स सभी कार्यालय भारतीय हिस्से में निश्चिन्तोपुर स्टेशन पर स्थापित किए जाएंगे और पूरी तरह से अलग होंगे।

उन्होंने उम्मीद जताई कि निश्चिन्तोपुर से जीरो लाइन तक रेलवे लाइन पर सभी काम 31 मार्च तक पूरे हो जाएंगे। नतीजतन, बांग्लादेश सरकार निश्चिन्तोपुर तक अपने काम का हिस्सा पूरा करने के बाद व्यापारिक गतिविधियां करना शुरू कर सकती है। हालांकि, अगरतला से निश्चिन्तोपुर तक रेल लिंक स्थापित करने के लिए 31 मार्च, 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सभी काम उस समय के भीतर पूरे हो जायेंगे।

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