व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ सुनवाई टली

नई दिल्ली, 01 मार्च (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस संजीव सचदेवा की बेंच ने 19 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की। तब वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी करना चाहिए, इस पर चीफ जस्टिस की कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। तब कोर्ट ने कहा कि सरकार कह रही है कि वो इसकी पड़ताल कर रही है। रिपोर्ट आने दीजिए। पिछले 3 फरवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वो व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी पर विचार कर रही है और इसे लेकर उसने व्हाट्सएप से इस बाबत पूछताछ की है।

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा था कि व्हाट्सएप यूरोपियन देशों और भारतीय युजर्स के साथ प्राईवेसी पॉलिसी को लेकर अलग-अलग मापदंड अपना रही है। केंद्र इसे लेकर चिंतित है। व्हाट्सएप ने युरोपियन देशों के युजर्स को ऑप्ट आउट होने का विकल्प दिया है जबकि भारतीय यूजर्स को ये विकल्प नहीं दिया गया है।

केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता के डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं होने की चिंताओं के जवाब में कहा था कि डाटा प्रोटेक्शन बिल पर विचार चल रहा है। इस पर संयुक्त संसदीय समिति विचार कर रही है। व्हाट्सएप को केंद्र सरकार को जवाब देने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनोहर लाल ने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी देश की सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए खतरा है। तब कोर्ट ने कहा था कि व्हाट्सएप कोई अनिवार्य एप नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि अगर आप इसे नहीं चाहते हैं तो आप इसका इस्तेमाल मत कीजिए। कोर्ट ने कहा था कि दूसरे एप को भी डाउनलोड करने के लिए ऐसी ही शर्तें होती हैं। ऐसे में केवल व्हाट्सएप पर कार्रवाई कैसे की जा सकती है।

कोर्ट ने पूछा था कि क्या कोर्ट सरकार को इन प्लेटफार्म को रेगुलेट करने के लिए कह सकता है। अगर इस पर संसद विचार कर रही है तो कोर्ट कैसे आदेश दे सकता है। सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप और फेसबुक की ओर से कहा गया था कि केंद्र सरकार ने कुछ मामलों पर सफाई मांगी है। वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा था कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

सुनवाई के दौरान पिछले 21 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि व्हाट्सएप एक निजी एप है और अगर याचिकाकर्ता को दिक्कत है तो उसका इस्तेमाल नहीं करें। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि व्हाट्सएप सब कुछ इकट्ठा करता है और उसको विश्वस्तर पर साझा करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका में व्हाट्सएप नई प्राइवेसी पॉलिसी के इस्तेमाल के लिए ऑप्शन देता है लेकिन भारत में इसके इस्तेमाल के लिए कोई आप्शन नहीं दिया। इस पर व्हाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एप पूरी तरह से उपयोग के लिए सुरक्षित है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल व्हाट्सएप ही नहीं बल्कि सभी प्लेटफार्म ऐसा कर रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपको पता है कि गूगल मैप भी डाटा शेयर करता है। क्या आपने व्हाट्सएप की शर्तों को पढ़ा है।

याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। याचिका में कहा गया है कि नई प्राईवेसी पॉलिसी किसी युजर की सभी आनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। याचिका में कहा गया है कि डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में युजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा। याचिका में नई प्राईवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है।

याचिका में मांग की गई है कि प्राईवेसी पॉलिसी को मौलिक अधिकारों के मुताबिक तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। केंद्र सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 79(2)(सी) और धारा 87(2)(जेडजी) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ये सुनिश्चित करे कि व्हाट्सएप किसी भी युजर का डाटा किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक को किसी उपयोग के लिए शेयर नहीं करे।

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