नई दिल्ली, 27 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें एक नाबालिग का वक्ष दबाने वाले व्यक्ति से यौन दुराचार की धारा हटा दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि बिना कपड़े उतारे ऐसा करना सिर्फ गरिमा को ठेस पहुंचाने का मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बुधवार को इस मामले को चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा। उन्होंने कहा कि ये गलत नजीर पेश करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को याचिका दाखिल करने की भी अनुमति दी। कोर्ट ने इस केस के आरोपित की रिहाई पर रोक लगाने का आदेश दिया।
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पिछले 19 जनवरी को अपने फैसले में लिखा कि सिर्फ वक्षस्थल को जबरन छूना मात्र यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा। इसके लिए यौन मंशा के साथ ‘स्किन टू स्किन कांटेक्ट’ होना जरूरी है। हाईकोर्ट ने इसे गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला मामला माना।