नई दिल्ली, 15 जनवरी (हि.स.)। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मतदान कार्यक्रम के बाद चुनाव प्रक्रिया में लगे अधिकारियों को निशाना बनाए जाने का संज्ञान लेते हुए कुछ दिशानिर्देश जारी किये हैं। इसके तहत अब ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने से पूर्व आयोग की अनुमति लेनी होगी।
आयोग ने इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक के अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके कार्यकाल और उसकी सामाप्ति के एक वर्ष बाद तक किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले आयोग की पूर्व स्वीकृति लेंगी। साथ ही राज्य सरकारें इन अधिकारियों को प्रदान की जाने वाली वाहन, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं को कम नहीं करेगी।
इस मुद्दे की व्यापक समीक्षा के बाद और इस तरह के विशिष्ट उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने कैबिनेट सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव, राज्यों के मुख्य सचिवों, मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर उक्त निर्देश दिया है।
आयोग ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि राजनीतिक प्रतिशोध के लिए कई बार अधिकारियों को कार्यकाल के पूरा होने के बाद राज्य सरकार में उनके पहले के कार्यकालों के छोटे-मोटे मामलों को आधार बनाकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। इससे भय का वातावरण पैदा किया जाता है। इससे अधिकारी चुनाव जिम्मेदारी उठाने से दूर रहते हैं और जिम्मेदारी मिलने पर चुनाव बाद कार्रवाई को लेकर चिंतित रहते हैं।
चुनाव आयोग का मानना है कि निर्वाचन अधिकारियों को उत्पीड़न से संरक्षण देना आवश्यक है। इससे निर्वाचन अधिकारियों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्भीक तरीके से चुनावी कार्य करने में सक्षम होंगे।