नई दिल्ली, 12 जनवरी (हि.स.)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कारगर बनाने के लिए विश्व समुदाय के सामनेआठ सूत्री एजेंडा पेश किया। इसमें आतंकवाद के बारे में दोहरा मानदंड खत्म करने, अच्छे और बुरे आतंकवादी जैसा भेदभाव खत्म करने और आतंकवादियों को पनाह एवं आर्थिक संसाधन मुहैया नहीं कराने के सुझाव शामिल हैं।
अमेरिका में वर्ष 2001 में न्यूयार्क के ट्वीन टावर पर हुए आतंकी हमले के बाद जनवरी 2002 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव 1373 के 20 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विश्व संस्था की विशेष बैठक में विदेश मंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। भारत इस वर्ष सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया है।
एस जयशंकर ने कहा कि भारत दशकों से आतंकवाद के खिलाफ पूरे दृढ़ संकल्प के साथ लड़ता रहा है। हालांकि आज वह पूरी दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए इस विश्व व्यापी खतरे के बारे में आठ सूत्री एजेंडा पेश कर रहे हैं। इस संबंध में जयशंकर ने कहा कि भारत ने वर्ष 1996 में ही आतंकवाद के खिलाफ व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौते का प्रस्ताव रखा था।
विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को जायज ठहराने के लिए अनेक तर्क और तकनीकी मुद्दे सामने रखते हैं। अच्छे और बुरे आतंकवादी की बात की जाती है। ऐसा दोहरा मापदंड स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसा रवैया अपनाने वाले देशों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधात्मक उपायों को कारगर बनाया जाए और कड़ाई से लागू किया जाए। प्रतिबंधों से बचने के लिए अपनाये जाने वाले हथकंडों को सफल नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवादी आज नए-नए तरह की प्रौद्योगिकी और हथकंडे अपना रहे हैं। युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में झोंकने और उनकी भर्ती के लिए सोशल मीडिया आदि का उपयोग किया जा रहा है। उग्रवाद और घृणा पर आधारित विचारधारा से लड़ने की जरूरत है।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय सूचियों में नामांकित करने और उन्हें सूची से हटाने का फैसला तथ्यों के आधार पर किया जाना चाहिए। इस संबंध में अधिक सावधानी और पारदर्शिता की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत के बीच सांठगांठ का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी अब मादक द्रव्यों की तस्करी, मानव तस्करी और अन्य आपराधिक कृत्यों से आर्थिक संसाधन जुटा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में माफिया गिरोहों की शिरकत का उल्लेख किया।
पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्होंने आतंकवादियों को समर्थन देने, धन मुहैया कराने और सुरक्षित पनाह देने वाले देशों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराए जाने पर जोर दिया। उन्होंने इस संबंध में एफएटीएफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को अधिक शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी संस्थाओं और प्रणालियों को नियमित बजट से धनराशि मुहैया कराए जाने की जरूरत बताई ताकि इससे उनकी क्षमताओं में बढ़ोतरी हो। साथ ही उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए विभिन्न देशों की आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को बढ़ाए जाने पर जोर दिया।