-जोरहाट में भाजपा की बाइक रैली में मंत्री ने लिया हिस्सा
जोरहाट (असम), 10 जनवरी (हि.स.)। नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के संयोजक और असम के स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त आदि मामलों के मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने रविवार को जोरहाट जिला शहर में आयोजित एक बाइक रैली में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मंत्री डॉ. विश्वशर्मा ने लोगों को भाजपा नीत गठबंधन सरकार के कार्यों के बारे में बताया।
जोरहाट में आयोजित भाजपा की बाइक रैली में भारी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता व आम लोगों ने हिस्सा लिया। रैली के पश्चात डॉ विश्वशर्मा ने जोरहाट मेडिकल कालेज अस्पताल (जेएमसीएच) के पास एक जनसभा को भी संबोधित किया। इसके अलावा मंत्री ने रविवार को एक रेलवे ओवर ब्रिज की आधारशिला भी रखी।
इसके पूर्व बाइक रैली में शामिल डॉ. विश्वशर्मा का जिला भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने भाजपा के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की।
विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य में केंद्रीय नेताओं के आने का सिलसिला भी आरंभ हो गया है। इस कड़ी में सोमवार को प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 11 जनवरी को सिलचर शहर के परेड ग्राउंड में भाजपा की ओर से आयोजित विजय संकल्प समावेश में हिस्सा लेते हुए चुनाव प्रचार अभियान का आरंभ करेंगे। आने वाले दिनों में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी असम दौरा तय है।
डॉ. विश्वशर्मा शनिवार को गोलाघाट में भाजपा की ओर से आयोजित एक 12 किमी लंबी एक बाइक रैली में हिस्सा लिया था जिसमें भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। रैली के बाद उन्होंने गोलाघाट के ऊषा गरंगा खेल मैदान में भाजपा में शामिल होने वाले लोगों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस तरह के कार्यक्रम राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास, मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, डॉ. हिमंत विश्वशर्मा के साथ ही अन्य नेताओं के द्वारा आयोजित किये जा रहे हैं। जबकि विपक्षी पार्टियां जनसंपर्क अभियान में अभी काफी पीछे दिखाई दे रही हैं।
उल्लेखनीय है कि आगामी 2021 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य में राजनीतिक गतिविधियां सभी पार्टियों की काफी तेज हो गयी हैं। कभी भी विधानसभा चुनावों के तारीखों की घोषणा हो सकती है। इसको देखते हुए सत्ताधारी दल हो या विपक्ष सभी अपनी-अपनी रणनीतियों को अमलीजामा पहनाने में जुट गये हैं। इसी कड़ी में नेताओं का एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होने का सिलसिला जारी है। सबसे अधिक कांग्रेस पार्टी से नेता सत्ताधारी पार्टी भाजपा में शामिल हो रहे हैं जिसकी वजह से कांग्रेस की हालत बेहद खस्ता हो गयी है।