सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चार्जशीट के लिए लोकसभा व विधानसभा से नहीं मिली अनुमति
कोलकाता, 05 जनवरी (हि.स.)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने फर्जी कंपनी के सीईओ के अवैध कारोबार को बंगाल में फैलाने में मदद करने के नाम पर घूस लेते के मामले में फंसे सांसदों और विधायकों के खिलाफ अभी चार्जशीट दाखिल न करने पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने यह आदेश आज नारद स्टिंग ऑपरेशन के मामले में दिए।
दरअसल, कांग्रेस नेता अमिताभ चक्रवर्ती ने सीबीआई पर स्टिंग ऑपरेशन मामले में निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर प्रधान न्यायाधीश की अदालत में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा कि आखिर सीबीआई ने अभी तक नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं की है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हलफनामा के जरिए जानकारी देने को कहा है। इस पर जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने बताया कि इस स्टिंग ऑपरेशन मामले में कई विधायक और सांसद शामिल हैं। उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति की जरूरत है। इसके लिए अनुमति मांगी गई है लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है।
सीबीआई के अधिवक्ता के अनुमति मांगने के दावे के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि विधानसभा सचिवालय के पास इस तरह का कोई आवेदन सीबीआई ने नहीं किया है। याचिकाकर्ता अमिताभ चक्रवर्ती की ओर से अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने न्यायालय को बताया कि सीबीआई इस मामले में बिना लोकसभा अध्यक्ष अथवा विधानसभा अध्यक्ष के अनुमति के भी चार्जशीट दाखिल कर सकती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के आदेश दिए हैं।
इस पर सीबीआई के अधिवक्ता ने बताया कि संवैधानिक नियमों के मुताबिक सांसदों के खिलाफ चार्जशीट के लिए लोकसभा अध्यक्ष और विधायकों के खिलाफ चार्जशीट के लिए विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अनुमति लेने संबंधी प्रक्रिया के तहत सीबीआई ने जो कदम उठाये हैं, उसके संबंध में हलफनामा के साथ दो सप्ताह कोर्ट को अवगत कराये। उल्लेखनीय है कि स्टिंग ऑपरेशन मामले में ममता सरकार के कई मंत्री, विधायक और सांसद फंसे हैं। इनमें से पूर्व परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी और पूर्व राज्यसभा सांसद मुकुल रॉय भाजपा में आ चुके हैं। इसलिए सीबीआई पर आरोप लग रहे हैं कि स्टिंग ऑपरेशन मामले में जांच एजेंसी निष्क्रियता बरत रही है।