आईएसए सभा के 8वें सत्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया संबोधित, 124 देश और 40 से अधिक मंत्री हुए शामिल

नईदिल्ली, २८ अक्टूबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्‍होंने कहा कि इस समस्‍या से पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन-आईएसए सभा के आठवें सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में दृढ़ कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया भर की सभ्यताएं लंबे समय से सूर्य को जीवन और ऊर्जा के परम स्रोत के रूप में मानती रही हैं।

सभी के लिए सौर ऊर्जा की सरकार की पहल का उल्‍लेख करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि यह पहल इस अवधारणा पर आधारित है कि सूरज की ऊर्जा सभी के लिए सुलभ ह‍ै और किसी एक की नहीं है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि किफायती और स्‍वच्‍छ ऊर्जा सुलभ होने से समुदाय सशक्‍त होंगे तथा नये अवसर पैदा होंगे। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्‍पादन के बारे में नहीं बल्कि यह सशक्तीकरण और समावेशी विकास के बारे में है।

अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन की वैश्विक स्‍तर पर उल्‍लेखनीय प्रगति के बारे में राष्‍ट्रपति ने कहा कि अगला कदम और मजबूत समावेशन के बारे में होना चाहिए जिसमें कोई भी महिला, किसान, गांव या छोटा द्वीप सौर क्रांति में पीछे न छूटे। उन्‍होंने सौर संचालित विश्‍व के निर्माण में अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन के सभी सदस्‍य देशों के साथ भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्‍होंने सदस्‍य देशों से रोजगार सृजन, महिला नेतृत्‍व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन के साथ सौर ऊर्जा को जोडने के बारे में संयुक्‍त योजना बनाने का आग्रह किया।

राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी समावेशी और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन के महिला के लिए सौर पहल की सराहना करते हुए उन्‍होंने इसे स्‍वागत योग्‍य बताया। उन्‍होंने कहा कि इससे नीति, वित्‍त, कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रों में रणनीतिक कार्यक्रमों के लिए महिलाओं का सशक्‍तीकरण हो रहा है।

    राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा की स्‍थापित क्षमता और पवन ऊर्जा के मामले में भारत का चौथा और सौर ऊर्जा उत्‍पादन में तीसरा स्‍थान है। उन्‍होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और सुदृढ नीतिगत प्रयासों को दर्शाती है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत की स्‍थापित सौर क्षमता एक सौ बीस गीगावॉट से अधिक हो गई है। यह 2030 तक पांच सौ गीगावॉट का लक्ष्‍य हासिल करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विश्‍व के कुछ सबसे बडी स्‍वच्‍छ ऊर्जा परियोजनाओं में भारत की प्रमुख भागीदारी है। भारत के छठ पर्व का उल्‍लेख करते हुए श्री जोशी ने कहा कि प्रकृति के साथ इस अटूट बंधन को मनाने के इस पर्व में लाखों भारतीयों ने आज सूर्य की उपासना की। उन्‍होंने कहा कि स्‍वच्‍छ ऊर्जा की दिशा में बढने के मामले में भारत आज केवल एक भागीदार नहीं बल्कि एक अ‍ग्रणी देश बन गया है। उन्‍होंने कहा कि भारत विकासशील और अल्‍प विकसित देशों की आवाज बन गया है और आई एस ए के माध्‍यम से सूर्य की ऊर्जा का दोहन कर देशों की मदद करके वह उस आवाज को कार्रवाई में बदल रहा है। हमारे संवाददात ने बताया कि चार दिन के समारोह में 124 देशों के 40 से अधिक मंत्री भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्‍य टिकाऊ भविष्‍य के लिए सौर ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक सहयोग बढ़ाना है।