नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा है कि चीन अंतरिक्ष में भारत के लिए खतरा बन रहा है। चीन सेटेलाइट के माध्यम से हथियार तैनात करना चाहता है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। पिछली शताब्दी में विमानन के क्षेत्र में हुए विकास ने युद्ध के चरित्र में क्रांति ला दी है। एयरोस्पेस की दुनिया में विकास और परिवर्तन का दौर अभी भी चल रहा है, जिसमें नए खतरों की चुनौतियां देखते हुए युद्ध लड़ने की नई तकनीक भी शामिल है।
वायु सेना अध्यक्ष चौधरी ने गुरुवार को नई दिल्ली में 13वें जम्बो मजूमदार अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रशिक्षण आधुनिक, लचीला और अनुकूल होना चाहिए। वर्तमान समय में वायु सेना के समक्ष सबसे पहली और महत्वपूर्ण चुनौती प्रौद्योगिकी के साथ गति को बरकरार रखना है। उन्होंने कहा कि इसके बाद कमान संभालने और नियंत्रण पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। वायु सेना अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ड्रोन और छोटे विमानों के उपयोग से वायु अंतरिक्ष नियंत्रण के समक्ष बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है। उन्होंने संयुक्त कमान विकसित करने और मारक क्षमता पर नियंत्रण करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे सामने सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रौद्योगिकी और उसके साथ तालमेल बिठाने की है। किसी अन्य क्षेत्र ने प्रौद्योगिकी में इतना तीव्र परिवर्तन नहीं देखा है, जितना वायु शक्ति ने अपने अस्तित्व के पिछले 120 वर्षों में देखा है। यदि हम सोचते हैं कि परिवर्तन की गति धीमी होने वाली है, तो हम एयरोस्पेस शक्ति के विकास को कम करके आंक रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विशिष्ट, स्वामित्व वाली और अक्सर कड़े राज्य नियंत्रण में होती है। इसलिए इससे संबद्ध चुनौती भविष्य के लिए स्वदेशी डिजाइन, विकास और उत्पादन के लिए क्षमता विकसित करना है। संभावित शत्रुओं को रोकने या राष्ट्र के युद्धों को निर्णायक रूप से जीतने के लिए व्यक्तिगत सेवाओं की मूलभूत शक्तियों को एक साथ लाया जाना चाहिए।