नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। रूस और यूक्रेन के बीच बने युद्ध के हालात के कारण घरेलू शेयर बाजार ने आज गिरावट का इतिहास रच दिया। भारतीय शेयर बाजार ने गुरुवार को करीब 3 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की। दिन भर बिकवाली के दबाव का सामना करने के बाद आखिर 5 प्रतिशत की गिरावट के साथ आज के कारोबार का अंत किया। आज के कारोबार के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने चौथी सबसे बड़ी गिरावट का रिकॉर्ड बनाया।
रूस और यूक्रेन के बीच बने तनाव को देखते हुए पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि आज भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट आ सकती है। जब बाजार खुला तो सेंसेक्स और निफ्टी में 3 प्रतिशत की शुरुआती गिरावट से ये आशंका सच होती नजर आई। इसके बाद जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया, वैसे-वैसे शेयर बाजार की गिरावट भी बढ़ती गई। इस कारण बीएसई का सेंसेक्स अपने इतिहास की चौथी सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ।
इसके पहले 12 मार्च 2020 को सेंसेक्स में 3,204.30 अंक की, 13 मार्च 2020 को 3,389.17 अंक की और 23 मार्च 2020 को 4,035.13 अंक के गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इन तीनों गिरावट की वजह कोरोना के कारण बने हालात को माना गया था। इसके अलावा इस साल 24 जनवरी को अमेरिकी सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने की आशंका के कारण सेंसेक्स में 2,053.17 अंक की गिरावट दर्ज की गई थी। आज सेंसेक्स में 2,702.15 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के कारण बाजार में आई इस गिरावट को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा निवेशकों को फिलहाल वेट एंड वॉच की नीति अपनानी चाहिए। बाज़ार में आई जोरदार गिरावट को देखते हुए खुदरा निवेशकों को हड़बड़ी में खरीदारी करने से बचना चाहिए, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैसे हालात बने हैं, उनमें शेयर बाजार में अभी 8 से 10 प्रतिशत तक की और गिरावट आने की आशंका बनी हुई है।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की स्थिति कुछ और दिन तक बनी रही, तो निफ्टी 15,500 अंक के स्तर तक नीचे गिर सकता है। धामी का कहना है कि बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि के निवेशक अगले 3 से 5 सालों के लिए निवेश करने की योजना बना सकते हैं, लेकिन उन्हें भी फिलहाल बाजार के हालात पर पैनी नजर बनाए रखना चाहिए।
इसी तरह ओसवाल सिक्योरिटीज के चीफ एनालिस्ट वीरेंद्र ओसवाल का कहना है कि जब तक युद्ध के हालात बने रहेंगे, तब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालने के लिए बिकवाली का दबाव बनाते रहेंगे। ऐसे में बाजार में गिरावट का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। इसलिए निवेशकों को फिलहाल न तो तात्कालिक लाभ उठाने के चक्कर में खरीदारी करना चाहिए और ना ही मौजूदा स्थिति से घबराकर बिकवाली करनी चाहिए। हड़बड़ी में की गई लिवाली और बिकवाली दोनों ही स्थिति में निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए छोटे और खुदरा निवेशकों को विशेष रूप से पूरे धैर्य के साथ बाजार के हालात पर नजर रखना चाहिए और बाजार के हालात को देखते हुए ही अपनी निवेश योजना को अंतिम रूप देना चाहिए।