कीव, 24 फरवरी (हि.स.)। यूक्रेन के दो प्रांतों डोनेस्क और लुहांस्क को पूर्वी यूक्रेन के रूप में स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के बाद रूस की सेना यूक्रेन में अघोषित रूप से प्रवेश कर गई है। रूस की इस हिमाकत को अमेरिका और यूरोपीय देश हमले के रूप में देख रहे हैं। रूसी सेना से झड़प के दौरान यूक्रेन के छह सैनिक मारे जाने और कई के घायल होने की भी खबर है।
रूसी टैंक पूर्वी यूक्रेन के डोनेस्क और लुहांस्क में दाखिल होने के बाद अलगाववादियों के साथ यूक्रेन सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्र की तरफ बढ़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार झड़प में छह यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने और कुछ के घायल होने की जानकारी आ रही है।
रूस की योजना स्वतंत्र घोषित किए डोनेस्क और लुहांस्क के उन हिस्सों पर भी कब्जा करने की है, जिन पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं था। प्रतिबंधों से रूसी सैनिकों के कदम न रुकते देख अमेरिका ने अब क्षेत्र में अत्याधुनिक एफ-35 लड़ाकू विमान और अपाचे अटैक हेलीकाप्टर तैनात करने का फैसला किया है। आठ विमान और 32 हेलीकाप्टर बाल्टिक देशों-एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया में तैनात किए जा रहे हैं।
नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के इन तीन सदस्य देशों के अतिरिक्त अमेरिका व सहयोगी देश पोलैंड, रोमानिया और हंगरी में भी सैन्य तैनाती बढ़ा रहे हैं। जिन देशों में सैन्य तैनाती बढ़ाई जा रही है वे सभी रूस के पड़ोसी देश हैं। लेकिन इस सबसे बेपरवाह रूस यूक्रेन पर अपना दबाव बढ़ा रहा है। रूस ने बेलारूस में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है और वहां पर अस्थायी सैन्य अस्पताल भी स्थापित कर दिया है। रूस में पहले से ही 30 हजार सैनिक मौजूद हैं। बेलारूस यूक्रेन का पड़ोसी देश है और उसकी सीमा से यूक्रेन की राजधानी कीव की दूरी सिर्फ 75 किलोमीटर है।
यूक्रेन में आपातकाल लागू
यूक्रेन सरकार ने देश में आपातस्थिति लागू कर दी है और जरूरत पड़ने पर देश में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने रूसी सेना के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों से रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सरकार ने रूस से टक्कर लेने का संकल्प जाहिर किया है। खतरे को बढ़ता देख देश के सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर सरकार के साथ आ गए हैं। सरकार ने अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए कर कम करने समेत कई कदमों का एलान किया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के प्रयास भी खटाई में पड़ गए हैं। रूसी कदम की निंदा करने के साथ ही उन्होंने मध्यस्थता के अपने प्रयास रोक दिए हैं।
रूसी सैनिकों के सीमा में दाखिल होने का असर यूक्रेन के जनमानस पर भी दिखाई दे रहा है। डोनेस्क और लुहांस्क के जिन इलाकों पर यूक्रेन की सेना का कब्जा है, वहां से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। चंद रोज पहले तक मुकाबले का जोश दिखा रहे लोग अब सुरक्षा के लिए ठिकाने तलाश रहे हैं।