नई दिल्ली, 19 फरवरी (हि.स.)। पुरानी सीमापुरी से बरामद विस्फोटक मामले की जांच में जुटी एजेंसियों को यह शक है कि पुरानी सीमापुर, गाजीपुर एवं कुल्लू तीनों ही जगहों के लिए एक ही ग्रुप ने आईईडी असेंबल की है, जो पाकिस्तान बॉर्डर पर असेंबल की गई, जिसे राजस्थान, पंजाब और कश्मीर के रास्ते दिल्ली पहुंचाया गया है। इसमें जम्मू कश्मीर और पंजाब में गुपचुप तरीके से आतंकी संगठनों के लिए काम करने वाले स्लीपर सेल ने मदद की है। स्लीपर सेल के जरिये ही दिल्ली तक विस्फोटक पहुंचा है।
सूत्रों के मुताबिक चौंकाने वाली जानकारी यह मिल रही है कि गाजीपुर फूल मंडी में जनवरी में मिला विस्फोटक, कुल्लू में हुए ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ विस्फोटक भी पुराना सीमापुरी इलाके में बरामद हुए विस्फोटक जैसा ही है। दरअसल इन सभी मामलों में विस्फोटक यानी आईईडी पर लगे मैगनेट की बनावट एक जैसी है। जांच एजेंसियों के मुताबिक दिसंबर में कश्मीर और पंजाब में भी इसी तरह का आईईडी मिला था। इन आईईडी पर लगे मैगनेट पर आईएसआई की मुहर है। इस कारण ही जांच एजेंसियां इस साजिश के तार सीमापार से जोड़कर देख रही हैं।
बम शेल भी एक ही जैसे हैं
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि मौके से बरामद विस्फोटक के बम शेल और टाइमर भी एक ही जैसे हैं। इसलिए स्पेशल सेल समेत अन्य एजेंसियां सीमापार की साजिश के तहत ही अपनी तफ्तीश आगे बढ़ा रही हैं। इसके लिए सीमापुरी में सीमापार से आए कॉल पर एजेंसियों की पैनी नजर है। दरअसल मौके के डंप डाटा की एनालिसिस के बाद पुलिस ऐसे ही संदिग्ध नंबरों की जांच कर रही है। इसके अलावा पुलिस ने गाजीपुर मंडी में प्लांट किए गए बम की जांच के लिए जो नंबर इंटरसेप्ट किए हैं, उसकी अगली कड़ियों को भी बारीकी से तलाश रही है।
47 नंबर जांच टीम की राडार पर
मामले की जांच में जुटी पुलिस के जांच दायरे में इस वक्त 47 नंबर हैं। इसमें से कुछ नंबरों की तो स्पेशल सेल पहले से ही जांच कर रही थी, जबकि सीमापुरी इलाके में विस्फोटक बरामद होने के बाद भी कुछ अन्य नंबरों की जांच शुरू की गई है। ऐसे में इन संदिग्ध नंबरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पहले दिन जहां इसकी संख्या करीब 30 के आसपास थी, वहीं अब संदिग्ध नंबरों की संख्या 47 तक पहुंच गई है। इन नंबरों की जांच कर पुलिस संदिग्धों का सुराग तलाशने में जुटी है।