बेंगलुरु, 16 फरवरी (हि.स.)। कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को हिजाब विवाद मामले पर सुनवाई गुरुवार दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्निसा मोहिद्दीन की तीन सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
वरिष्ठ अधिवक्ता और याचिकाकर्ता के वकील रविवर्मा कुमार ने अपने छात्र मुवक्किल की ओर से अपनी दलीलें पूरी कीं। उन्होंने तर्क दिया कि शासनादेश में किसी अन्य धार्मिक चिह्न पर कुछ नहीं कहा गया है। सिर्फ हिजाब ही क्यों, क्या यह उनके धर्म के कारण नहीं है? मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव विशुद्ध रूप से धर्म पर आधारित है। उन्होंने तर्क दिया कि इस विशेष अधिनियम की शर्तों के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों द्वारा स्कूल तथा कॉलेज की वर्दी के संबंध में किसी भी बदलाव को एक वर्ष पहले अधिसूचित करना होता है। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के लिए इस तरह के किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों में सैकड़ों धार्मिक प्रतीकों के अस्तित्व का भी दावा किया और तर्क दिया कि हिजाब पहनने पर “अधिमान्य प्रतिबंध” एक विशेष धर्म के आधार पर भेदभाव के अलावा और कुछ नहीं है।
हालांकि पीयूसी और डिग्री कॉलेज आज से फिर से खुल गए, लेकिन राज्य के कई हिस्सों में पहनावे को लेकर तनातनी जारी रही। मुस्लिम छात्राओं द्वारा बुर्का पहनने और हिजाब हटाने से इनकार करने के कारण तनावपूर्ण स्थिति के बाद शिवमोगा जिले के सागर में सरकारी जूनियर कॉलेज प्रशासन ने छुट्टी घोषित कर दी। छात्राओं ने बताया कि उनके लिए विश्वास शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है और उन्होंने उस दिन होने वाली परीक्षाओं का बहिष्कार किया। विजयपुरा, कलबुर्गी, यादगिरी आदि कई जिलों से भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं।
गृहमंत्री ने दी कार्रवाई की चेतावनी
राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने यूनिफार्म पहनने पर हाई कोर्ट के अंतरिम आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। विधान सौध में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अदालत के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है और उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट हुआ वायरल
हिजाब विवाद पर भाजपा के राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का एक ट्वीट वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि हिजाब विवाद को देखने के बाद जो मुसलमानों को “पहले हिजाब और फिर पढ़ाई” कहकर कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं, मैं सोच रहा हूं कि उनके दादाजी ने क्यों पाकिस्तान जाने की बजाय भारत में रहने का विकल्प चुना, जहां उन्हें आसानी से “हिजाब फर्स्ट” मिलता।