रायपुर , 8 फ़रवरी (हि.स.)। छत्तीसगढ़ राज्य को चालू रबी सीजन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा मांग के अनुसार रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति न करने के कारण प्रदेश में किसानों को रासायनिक खादों को लेकर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। चालू रबी सीजन के लिए विभिन्न प्रकार के कुल सात लाख 50 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की डिमांड भारत सरकार से की गई है, परंतु आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य को मात्र 3 लाख 20 हजार मीट्रिक टन उर्वरक ही मिला है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार के रासायनिक उर्वरकों के डिमांड कोटे में 45 फीसद की कटौती भी केन्द्र सरकार ने कर दी है। 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन के विरूद्ध केन्द्र ने मात्र चार लाख 11 हजार मीट्रिक टन उर्वरक प्रदाय किए जाने की स्वीकृति दी है।
छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य को अब तक यूरिया 1,17,522 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो राज्य की मांग का मात्र 34 प्रतिशत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य को मांग का डीएपी मात्र 28 प्रतिशत, पोटाश 53 प्रतिशत, एनपीके काम्प्लेक्स 43 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस साल रबी सीजन में 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 15 लाख 76 हजार हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भारत सरकार को 7.50 लाख मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की मांग भेजी गई थी, जिसमें यूरिया 3.50 लाख मीट्रिक टन, डीएपी दो लाख मीट्रिक टन, पोटाश 50 हजार मीट्रिक टन, एनपीके काम्प्लेक्स 75 हजार मेट्रिक टन एवं सुपर फास्फेट (राखड़) 75 हजार मीट्रिक टन है। जिसके विरूद्ध भारत सरकार द्वारा 4,11,000 मीट्रिक टन स्वीकृति दी गई, जो छत्तीसगढ़ राज्य की मांग का 55 प्रतिशत है।
राज्य को चालू रबी सीजन के लिए सहकारिता क्षेत्र में मात्र 93,214 मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक प्राप्त हुआ है, जो गत वर्ष की इसी अवधि में प्राप्त मात्रा 1,52,027 मीट्रिक टन से 39 प्रतिशत कम है। छत्तीसगढ़ को यूरिया मात्र 31,500 मीट्रिक टन प्राप्त है, जो गत वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत कम है। डीएपी 19,434 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में 68 प्रतिशत कम है। इस साल पोटाश मात्र 4,191 मीट्रिक टन मिला है, जो गत वर्ष की 15,847 मीट्रिक टन की तुलना में 74 प्रतिशत कम है। इसी तरह एनपीके की भी गत वर्ष की तुलना में कम आपूर्ति हुई है।