रायपुर, 06 फरवरी (हि.स.)। भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से भी नाता रहा है। 9 फरवरी, 1980 को छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर को डी-लिट की उपाधि से नवाजा था। डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाने वालीं लता ने छत्तीसगढ़ बोली में भी एक गीत गाया है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘भखला’ के लिए 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्टूडियो में लता दीदी ने छत्तीसगढ़ी गीत छूट जाही अंगना अटारी…. छूटही बाबू के पिठइया की रिकॉर्डिंग की थी। शादी के बाद बेटी की विदाई पर इस गीत की रचना मदन शर्मा ने की थी और संगीत दिया था कल्याण सेन ने। इस गीत को गंवाने के लिए गीतकार मदन शर्मा और संगीतकार कल्याण सेन को काफी मेहनत करनी पड़ी थी।
मदन शर्मा ने बताया कि इसके लिए उन्होंने लम्बे समय तक उपवास रखा। इस गीत को लता जी से गंवाने के लिए नवंबर 2004 से फरवरी 2005 तक चार बार मुंबई के चक्कर लगाए। तब जाकर लता दी ने गाने के लिए हामी भरी । लता मंगेशकर की आवाज ने इस विदाई गीत को अमर कर दिया। इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए लता जी ने फीस की तय रकम में से 50 हजार रुपये मिठाई खाने के लिए लौटा दिए थे ।