नई दिल्ली, 04 फ़रवरी (हि.स.)। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत देश में 15 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाने की योजना 15 अगस्त, 2020 को शुरू की गई थी। यह पायलट योजना के रूप में पहले छह केंद्र शासित प्रदेशों से शुरू की गई थी। इसमें अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल थे। फिर 27 सितंबर, 2021 को यह योजना पूरे राष्ट्र में लागू की गई।
क्या हैं लाभ
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य आईडी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि जब आप डॉक्टर के पास स्वास्थ्य की जांच के लिए जाएंगे तो फाइल ले जाने से छुटकारा मिल गया है। डॉक्टर या अस्पताल रोगी की यूनिक हेल्थ आईडी देखकर उसका पूरा डेटा निकाल लेते हैं । उसी आधार पर आगे का इलाज भी शुरू करते हैं। हेल्थ आईडी बनाना स्वैच्छिक है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण नागरिकों की भागीदारी को अधिकतम करने के लिए स्वास्थ्य आईडी के उपयोग और लाभों के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा कर रहा है।