मप्रः तीन शुभ संयोगों में शनिवार को मनाई जाएगी बसंत पंचमी

सिद्ध योग के साथ केदार और बुधादित्य योग बनाएंगे पर्व को खास

भोपाल, 04 फरवरी (हि.स.)। देश में इस साल शनिवार, 05 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार बसंत पंचमी पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दौरान सिद्ध योग के साथ ही मकर राशि में सूर्य और बुध के एक साथ होने से बुधादित्य योग और सभी नौ ग्रहों के चार राशियों में संचार करने से केदार योग भी बन रहा है। यह योग विद्यार्थियों, साधकों, अभिनय, कला, संगीत आदि से जुड़े व्यक्तियों के लिए खास रहेंगे।

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि इस साल बसंत पंचमी के दिन सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन सूर्य, बुध मकर राशि में एक साथ मौजूद रहेंगे। सूर्य और बुध के इस योग से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। बुध को बुद्धि का कारक ग्रह होता है। इस योग में देवी सरस्वती की पूजा करना शुभ और फलदायी साबित होगा। वहीं, 9 ग्रह चार राशियों में रहने से केदार योग का संयोग बनेगा। इन योगों के कारण इस बार की बसंत पंचमी का महत्व काफी बढ़ गया है। यह त्रिवेणी योग विद्यारंभ के लिए बेहद शुभ होता है।

उन्होंने बताया कि बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नई उमंग से सूर्योदय होता है और नई चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। उन्होंने कहा कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से बसंत ऋतु प्रारंभ होती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जिसमें मुख्य रूप से बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा, वागीश्वरी जयंती, रति काम महोत्सव, बसंत उत्सव शामिल है।

उन्होंने बताया कि बसंत ऋतु को छह ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस दिन सृष्टि के सबसे बड़े वैज्ञानिक के रूप में जाने जाने वाले ब्रह्मदेव ने मनुष्य के कल्याण हेतु बुद्धि, ज्ञान विवेक की जननी माता सरस्वती का प्राकट्य किया था। इसीलिए इस दिन माताएं अपने बच्चों को अक्षर आरंभ कराना शुभप्रद समझती हैं। इस वर्ष बसंत पंचमी 5 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की आराधना के साथ-साथ कामदेव की भी पूजा होती है। इसके अलावा बसंत पंचमी का दिन विवाह के लिए भी शुभ होता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी के अनुसार, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में साढ़े तीन अबूझ मुहुर्त या स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहे गए हैं, अक्षय तृतीया, विजयदशमी, बसंत पंचमी और शिवरात्रि। ज्योतिषीय मान्यता है कि यह बसंत पंचमी विशेषकर विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त होता है और पूरे दिन दोषरहित श्रेष्ठ योग रहता है। इसके अलावा इस दिन रवि योग का भी शुभ संयोग बनता है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव और पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था। इस दृष्टि से भी विवाह के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी पर विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा के साथ ही गृह प्रवेश, कोई नया कोर्स शुरु करना, कोई तैयारी करना, नई नौकरी की शुरुआत, किसी नए काम की शुरुआत, भूमि पूजन, मुंडन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

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