ब्रसेल्स 04 फरवरी (हि.स.)। रूस लगातार यूक्रेन पर दबाव बढ़ाता जा रहा है। उसने पहले से यूक्रेन सीमा पर 1,20,000 सैनिकों को तैनात किया है, अब वह पड़ोसी देश बेलारूस की तरफ से भी घेरने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए रूस ने सैन्य अभ्यास की आड़ में 30 हजार सैनिक बेलारूस भेजे हैं। दोनों देशों का सैन्य अभ्यास 20 फरवरी तक चलना है। यह बात नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) ने कही।
अमेरिका ने आशंका जताई है कि इस महीने के अंत में रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। उधर, रूस ने यूक्रेन पर हमले की योजना से इनकार किया है, लेकिन वह अमेरिका से यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने का स्पष्ट आश्वासन चाहता है। अमेरिका ने ऐसा कोई आश्वासन देने से इनकार कर दिया है।
अमेरिका ने पूर्वी और मध्य यूरोप से नाटो के हथियारों की तैनाती हटाने की रूस की एक अन्य मांग को मानने से भी इनकार कर दिया है। नाटो अमेरिका के नेतृत्व वाला सैन्य संगठन है, जिसमें 29 अन्य देश शामिल हैं।
नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि हाल के कुछ दिनों में हमने पाया है कि बेलारूस में रूसी सैनिकों की संख्या और गतिविधियां बढ़ी हैं। इस दौरान रूस ने विशेष कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित 30 हजार सैनिक, एसयू-35 लड़ाकू विमान, एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और परमाणु हमला करने में सक्षम स्कैंडर मिसाइलें बेलारूस भेजी हैं। शीत युद्धकाल के बाद रूस ने बेलारूस में पहली बार इतने सैनिक और सैन्य साजो-सामान भेजा है।
रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने गुरुवार को बेलारूस जाकर रूस और बेलारूस के सैनिकों के संयुक्त अभ्यास का निरीक्षण किया। उन्होंने बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको से भी मुलाकात की।
रूस की सैन्य तैनाती खत्म करने की मांग के विपरीत अमेरिका ने गुरुवार को तीन हजार सैनिकों की पोलैंड और रोमानिया में तैनाती का एलान किया। दोनों ही देश पूर्व सोवियत देश हैं और अब नाटो में हैं। दोनों ही देश रूस के नजदीक हैं। वहां पर सैन्य तैनाती से रूस का बेचैन होना स्वाभाविक है।
तुर्की राष्ट्रपति मध्यस्थता के लिए यूक्रेन पहुंचे
इस बीच तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन विवाद में मध्यस्थता के उद्देश्य से गुरुवार को यूक्रेन पहुंचे हैं। जिसके बाद वो मास्को में राष्ट्रपति पुतिन से भी मिलेंगे। नाटो में शामिल तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के रूस और यूक्रेन से अच्छे संबंध माने जाते हैं।