रायपुर, 03 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश (भाजपा) अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा निरर्थक सियासी कवायद और तथ्य-सत्य से आंखें मूंदकर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का प्रदर्शनभर था। साय ने कहा कि तमाम शिगूफ़ों में क़रारी मात खाने के बाद राहुल गांधी ने एक नया शिगूफ़ा गढ़ा है, अमीर भारत – ग़रीब भारत और स्थिति यह है कि मंच पर बैठे कांग्रेस के नेताओं को ही उनकी बात का कोई सिरा पकड़ नहीं आ रहा था।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने गुरुवार शाम जारी अपने बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ के किसान-मज़दूर और ग़रीबों से किए गए वादों से मुकरने वाली प्रदेश सरकार की कारस्तानियों को अनदेखा करके राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के निवासियों को निराश ही किया।
साय ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुत-से लोकलुभावन वादे किए थे और सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की सरकार ने वादाख़िलाफ़ी, झूठ-फ़रेब, छल-कपट करके राजनीतिक पाखंड की सारी हदें ही पार कर दीं। इतना ही नहीं, ख़ुद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की किसानों से ज़गह-ज़गह फूड प्रोसेसिंग युनिट स्थापित करने और उसमें किसानों के बेटों को रोज़गार देने का वादा किया था, सरकार द्वारा धान खरीद में 15 क्विंटल प्रति एकड़ की लिमिट ख़त्म करने की बात कही थी, अपने उन वादों पर कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने अब तक अमल क्यों नहीं किया, यह सवाल पूछने का साहस तक राहुल गांधी नहीं दिखा पाए।
उन्होंने कहा कि धान खरीदने को लेकर भूपेश बघेल की डींगों पर राहुल ने यह सच जानने की कोशिश तक नहीं की कि उक्त राशि किसानों को एकमुश्त क्यों नहीं दी जा रही है? जिस ग्रामीण भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना ढिंढोरा पीटा जा रहा है, उसमें 10 लाख लोगों के बजाय अब वह संख्या 3.35 लाख पर ही क्यों सिमट गई?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा पर नफ़रत की राजनीति करने का मिथ्या आरोप लगाकर राहुल गांधी कांग्रेस के वैमनस्यपूर्ण, भेदभाावपूर्ण, असहिष्णु और अलोकतांत्रिक राजनीतिक चरित्र पर पर्दा डालने के लाख जतन कर लें, लेकिन देश कांग्रेस की असलियत से पूरी तरह वाक़िफ़ है।
साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ को पहली बार साम्प्रदाायिकता की आग में झोंकने वाली भूपेश-सरकार से बजाय ज़वाब-तलब करने के राहुल गांधी ने इस पूरे मुद्दे पर मौन साधे रखा! क्या इसे प्रदेश में साम्प्रदायिक विद्वेष और धर्मांतरण के प्रदेश सरकार के छिपे एजेंडे पर कांग्रेस हाईकमान की मौन स्वीकृति माना जाए?
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी की राजनीतिक परिपक्वता अगले ही दिन संदेह के घेरे में आ गई, जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दो टूक यह कहा कि चीन-पाकिस्तान की नजदीकी वाले राहुल गांधी के बयान से अमेरिका इत्तेफाक नहीं रखता।