नई दिल्ली, 03 फरवरी (हि.स.)। भारत ने बीजिंग में आयोजित होने वाले आगामी शीतकालीन ओलंपिक में मशाल वाहक के रूप में गलवान घाटी के एक चीनी सैनिक के चयन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। इसके मद्देनजर इन खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह में बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के प्रभारी भाग नहीं लेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि दुनिया के अनेक देश मानवाधिकारों के बारे में चीन के रवैए के विरोध में शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं। शीतकालीन ओलंपिक में छह सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल गया है। यहां स्कीयर आरिफ खान इस बार क्वालीफाई करने वाले देश के एकमात्र एथलीट हैं।
इन्हीं शीतकालीन ओलंपिक में मशाल लेकर चलने वाले प्रतिभागी के रूप में एक चीनी सैनिक क्वी फैबाओ को चुना गया था। गलवान घाटी में वर्ष 2020 में चीन की ओर से हमला किया गया था जिसमें कई भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी। संघर्ष में कई चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन चीन की ओर से इसका ब्यौरा नहीं दिया गया था।
इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के समाचार पत्र ‘द क्लैक्सन’ ने दावा किया है कि हिंसक झड़प के दौरान चीन के 38 सैनिक नदी में बह गए थे, जबकि चीन ने सिर्फ 4 सैनिकों की मौत की बात कबूली थी। हालांकि प्रवक्ता ने आस्ट्रेलिया से आई इन रिपोर्टों पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि चीनी सैनिकों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक युवक का कथित अपहरण कर यातना देने संबंधी शिकायतों पर मंत्रालय ने गौर किया है। मामला चीनी अधिकारियों के साथ उठाया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में रक्षा मंत्रालय आवश्यक कार्रवाई कर रहा है।
बागची ने पूर्वी लद्दाख में सामान्य स्थिति कायम करने के बारे में भारत के पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि दोनों पक्षों के बीच सैन्य कमांडरों की बैठक शीघ्र आयोजित करने पर सहमति बनी है।