नई दिल्ली, 03 फरवरी (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश में एक सुगठित ई-कॉमर्स व्यापार पॉलिसी बनाने के लिए गुरुवार को एक 14 सूत्री चार्टर जारी किया। कैट ने ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स व्यापार की मॉनिटरिंग के लिए एक सुदृढ़ रेग्युलेटरी अथॉरिटी गठित करने का सुझाव देते हुए जल्द एक ई-कॉमर्स नीति घोषित करने की मांग भी की।
कारोबारी संगठन कैट ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डीपीआइआइटी विभाग द्वारा भारत के ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक सुव्यस्थित नीति बनाये जाने को लेकर देश के नामचीन कारोबारी संगठनों के साथ यहां एक “राष्ट्रीय ई-कॉमर्स कॉन्क्लेव” का आयोजिन किया। इस कॉन्क्लेव में देशभर के प्रमुख व्यापारी संगठनों, विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों, ट्रांसपोर्टरों एवं उपभोक्ताओं ने भाग लिया।
कैट के आयोजित इस प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन आयोजित कॉन्क्लेव में सर्वसम्मति से पारित एक प्रस्ताव में देश में एक सुगठित ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स व्यापार की मॉनिटरिंग के लिए एक सुदृढ़ रेग्युलेटरी अथॉरिटी गठित करने के साथ-साथ एक ई-कॉमर्स नीति घोषित करने की मांग की गई। इस कॉन्क्लेव में ई-कॉमर्स में काम करने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के साथ सर्वसम्मति से पास प्रस्ताव में 14 सूत्री दिल्ली डिक्लेरेशन भी जारी किया गया।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ऐसे समय में जब वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को गति देने के लिए बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर को डिजिटल करने का ऐलान किया है। उसको देखते हुए देशभर में ई-कॉमर्स व्यापार को कोने-कोने तक विकसित करना होगा। इसके लिए अब यह जरूरी हो गया है कि ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक स्पष्ट नीति की घोषण सरकार करे। इसके साथ ही इस नीति और नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगो को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान किया जाए। इसके लिए कैट ने 14 सूत्री चार्टर जारी किया है, जिसमें निम्न बिंदुओं को शामिल किया गया है।
1. विदेशी या भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों के मार्केटप्लेस पर पंजीकृत सेलर्स मार्केटप्लेस की संबंधित कंपनियां नहीं होनी चाहिए।
2. मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म इकाई, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विक्रेता की सूची को नियंत्रित नहीं करेगी।
3. मार्केटप्लेस को अपने पंजीकृत विक्रेताओं के लिए एक थोक विक्रेता के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए।
4. मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स कंपनियों के पास खुद के ब्रांड नहीं होने चाहिए या अपने निजी लेबल ब्रांड नहीं होने चाहिए।
5. मार्केट प्लेस कंपनियों को एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के प्रावधानों का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिए उनकी सहयोगी कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत किया जाना चाहिए और उन्हें 25 फीसदी सामान बेचने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
6. कोई मार्केट प्लेस इकाई वस्तु-सूची पर आधारित ई-कॉमर्स इकाई के रूप में कार्य नहीं करेगी। इसी तरह कोई भी इन्वेंट्री पर आधारित ई-कॉमर्स संस्था किसी तीसरे पक्ष के विक्रेता को पंजीकृत नहीं करेगी।
7. प्रत्येक मार्केट प्लेस प्लेटफॉर्म को विक्रेताओं, उपभोक्ताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं के प्रति पूरी तरह से तटस्थ तरीके से कार्य करना चाहिए। ई-कॉमर्स पोर्टल सभी उपभोक्ताओं को गैर-भेदभावपूर्ण सेवाएं प्रदान करेगी।
8. बैंकों को मार्केट प्लेस प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा ऑफर और कैशबैक देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
9. मार्केट प्लेस ई-कॉमर्स कंपनियों को ऑन-बोर्डिंग करने से पहले विक्रेताओं की मजबूत केवाईसी और ड्यू-डिलिजेंस को पूरा करना चाहिए, ताकि वे अवैध उत्पादों की बिक्री न कर पाएं।
10. प्रत्येक ई-कॉमर्स कंपनी को अपने शिकायत अधिकारी, नोडल अधिकारी और अनुपालन अधिकारी के बारे में पूरा विवरण नामांकित और प्रकाशित करना चाहिए।
11.प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म में विक्रेता का विवरण शामिल होना चाहिए, जिसमें उनका पता और उनका पता एवं संपर्क नंबर शामिल हो।
12. अन्य नियामक निकायों जैसे आईआरडीए /आरबीआई /टीआरएआई/रेरा आदि के अनुरूप ई कॉमर्स के लिए एक स्वतंत्र एवं शक्तिशाली ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी स्थापित किया जाना चाहिए।
13. ई-कॉमर्स जो पारदर्शी एवं जिम्मेदार व्यापार बनाने के लिए सभी प्रमुख संगठन संयुक्त रूप से एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करें।
14. ई-कॉमर्स पालिसी में डेटा सुरक्षा का अनिवार्य रूप से प्रावधान हो।
खंडेलवाल ने बताया कि कैट जल्द ही “राष्ट्रीय ई-कॉमर्स कॉन्क्लेव” में पारित 14 सूत्री चार्टर को शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों को सौंपा जाएगा। इस कॉन्क्लेव में इंडिया सेलुलर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया कंस्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रब्युटर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन,नेशनल रेस्टॉरेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, आल इंडिया ट्रांस्पोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन,आल इंडिया जेवेलर्स एवं गोल्डस्मिथ फेडरेशन एवं कंप्यूटर मीडिया डीलर्स एसोसिएशन, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, फेडरेशन ऑफ़ इंडियन स्माल एंड माइक्रो इंटरप्राइजेज,इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से इसमे शामिल हुए।
खंडेलवाल ने बताया कि कैट के इस कॉन्क्लेव में आमंत्रित किये जाने के बावजूद अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग नहीं लिया, जबकि आईटीसी, हिंदुस्तान लीवर, कोकाकोला, एमवे, उड़ान, अर्बन लैडर, बिग बास्केट, रिलायंस आदि के शीर्ष अधिकारी इसमें शामिल हुए। उन्होंने ई-कॉमर्स नीति के मुद्दे पर अपनी बात रखी। कॉन्क्लेव में शामिल सभी वक्ताओं ने कहा कि ई-कॉमर्स व्यापार में प्रतिस्पर्धा की बजाय एक दूसरे को सहयोग देने का भाव होना जरूरी है। वहीँ, ई-कॉमर्स पॉलिसी में अनिवार्य रूप से सख्त नियम बनाये जाने की बात कही गई, जिससे कोई भी नियम एवं कानूनों का उल्लंघन न कर सके।