गायकों व फिल्मी कलाकारों के लिए आसान नहीं रही पंजाब की राजनीति

पुल वाले नेता के रूप में मशहूर हुए थे विनोद खन्ना

-हंसराज हंस को रास नहीं आई पंजाब की राजनीति

चंडीगढ़, 3 जनवरी (हि.स.)। पंजाब की राजनीति में पंजाबी गायकों तथा फिल्मी कलाकारों की सक्रियता लंबे समय से रही है लेकिन इनमें से बहुत कम ऐसे हैं, जिन्हें राजनीति की राह में कामयाबी मिली। पंजाब की राजनीति में लोक गायकों तथा फिल्मी कलाकारों ने प्रवेश तो किया लेकिन वह लंबी रेस के घोड़े साबित नहीं हो सके।

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने मानसा विधानसभा क्षेत्र से पंजाबी लोक गायक सिद्धू मूसेवाला को चुनाव मैदान में उतारा है। पंजाब की मोगा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने टिकट भले ही मालविका सूद को दी हो लेकिन चुनाव प्रचार की कमान उनके भाई एवं फिल्म अभिनेता सोनू सूद संभाल रहे हैं।

इसके पहले पंजाब में हुए चुनावों में फिल्मी कलाकारों की भूमिका अहम रही है। पंजाब की राजनीति में गायकों की एंट्री की शुरूआत पंजाब के प्रसिद्ध कविशर (धार्मिक गायक) बलवंत सिंह रामूवालिया के समय में हुई थी। रामूवलिया को यह फील्ड रास आया और वह केंद्र में मंत्री भी बने। हालांकि रामूवालिया के दामाद एवं पंजाबी फिल्म अभिनेता हरभजन मान राजनीति के क्षेत्र में ज्यादा लंबे नहीं चल सके।

बालीवुड अभिनेता विनोद खन्ना ने 90 के दशक में सक्रिय राजनीति शुरू की और वह गुरदासपुर से सांसद बने। विनोद खन्ना ने राजनीति के चक्कर में बालीवुड से पूरी तरह दूरी बना ली और गुरदासपुर में इतने काम करवाए कि लोग उन्हें पुल वाला सांसद कहने लगे थे। इसके विपरीत,पंजाब में लोक गायक का दर्जा प्राप्त हंसराज हंस ने पंजाब में दो बार किस्मत आजमाई लेकिन यहां उन्हें कामयाबी नहीं मिली। बाद में दिल्ली जाकर वह लोकसभा चुनाव जीते।

वर्ष 2012 के दौरान पंजाब के प्रसिद्ध लोक गायक मोहम्मद सद्दीक , कॉमेडियन गुरप्रीत सिंह घुग्गी, भगवंत मान ने राजनीति में एंट्री की। मोहम्मद सद्दीक चुनाव जीत गए लेकिन गुरप्रीत सिंह घुग्गी को यह फील्ड रास नहीं आया तो वह दोबारा फिल्मी दुनिया में लौट गए। लगातार संघर्ष करते हुए भगवंत मान दो बार सांसद बने और इस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री चेहरा के रूप में सामने रखा है।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से फिल्म अभिनेता सन्नी दयोल ने चुनाव लड़ा और वह जीत भी गए लेकिन जीतने के बाद क्षेत्र से उनकी दूरी के कारण वह विवादों में घिरे हुए हैं। इसके अलावा पंजाब की राजनीति में पहले भी कुलदीप माणक, जस्सी जसराज, सतविंदर बिट्टी आदि भी आ चुके हैं लेकिन इन्हें आशातीत कामयाबी नहीं मिली।

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