मोदी सरकार ने साहस दिखाते हुए उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनावों के बावजूद बजट में मुफ़्त उपहारों और लोक लुभावन घोषणाओं से परहेज कर देश के मजबूत विकास और रोजगार का एक खाका प्रस्तुत किया है। बजट में आमदनी बढ़ाने की बजाय खर्च पर ज्यादा जोर है। करीब सभी करों को यथावत रखा गया है।
कोरोना के कारण बढ़े घाटे के बावजूद इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, यह राहत की बात है। बजट में न केवल किसानों व कारोबारियों को सीधा लाभ दिया गया है बल्कि गरीबों के लिए 48 हजार करोड़ के खर्च से 80 लाख प्रधानमंत्री आवास व 60 हजार करोड़ के खर्च से घरों में नल से जल पहुंचाने की योजना है। साथ ही इस वर्ष पीएलआई स्कीम के ज़रिए 60 लाख नई नौकरियों के सृजन की बात भी वित्त मंत्री ने कही है।
इस बार बजट का आकार 39.45 लाख करोड़ है। पिछले साल के मुकाबले सरकार इस बार पौने दो लाख करोड़ रुपये ज़्यादा ख़र्च करेगी। मुख्य रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर पूंजीगत ख़र्च को बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है। यह कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.9 प्रतिशत है। देश के इतिहास में इतना अधिक पूंजीगत ख़र्च पहले नहीं किया गया।
इस वर्ष 20 हजार करोड़ रुपये से 25 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवे का निर्माण होगा। डिफेंस बजट का 68% हिस्सा भारतीय निर्माताओं पर ख़र्च किया जाएगा। आगामी तीन वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना भी है। स्वाभाविक रूप से इन सभी ख़र्च से मांग में वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ़्तार मिलेगी। देश के सभी जनसामान्य को भी कारोबार और रोज़गार के रूप में इसका लाभ मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष जनवरी में 1.4 लाख करोड़ के रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन की सूचना संसद में देते हुए करदाताओं को बधाई दी। साथ ही उन्होने करदाताओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि वे आयकर रिटर्न में छूटी हुई आय को शामिल करने के लिए आगामी दो वर्षों तक रिटर्न को अपडेट कर सकेंगे।
कुल मिलाकर यह बजट भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाने वाला है बल्कि इससे जल्द ही कारोबार और रोज़गार को भी रफ़्तार मिलेगी।