मेरठ, 10 मई (हि.स.)। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ दस मई को मेरठ से ही हुआ था। कोरोना महामारी के चलते पिछले वर्ष की तरह इस बार भी कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। इंटरनेट मीडिया के जरिए लोगों ने क्रांति की घटनाओं को देखा। सदर बाजार थाने में कोतवाल धन सिंह की प्रतिमा पर पुलिसकर्मियों ने माल्यार्पण किया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ दस मई को होने के कारण इस दिन को क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने क्रांति का बिगुल बजाया था और यहां से अंग्रेजों को मारते हुए दिल्ली के लिए कूच कर दिया। इस जंग में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी भाग लिया। भारतीयों ने अंग्रेजों को हराकर दिल्ली के लाल किले पर कब्जा कर लिया। दस मई क्रांति दिवस पर मेरठ में प्रत्येक वर्ष भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण क्रांति दिवस पर कोई आयोजन नहीं हो पाया था। इस बार भी राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में कोई आयोजन नहीं हो रहा है। संग्रहालय में मौजूद 1857 की का्रंति की पूरी कहानी इंटरनेट मीडिया पर मौजूद है।
सांसद ने शहीदों को अर्पित की श्रद्धांजलिभाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 10 मई क्रांति दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर बाबा औघड़नाथ मंदिर स्थित शहीद स्मारक और भैंसाली मैदान में शहीद स्मारक पर जाकर मां भारती के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीदों के अमर बलिदान को याद करते हुए नमन किया।
सदर बाजार थाने में शहीद धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा पर पुलिसकर्मियों ने माल्यार्पण किया। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने शहीद धन सिंह कोतवाल को याद करते हुए आजादी की लड़ाई में उनके बलिदान को अतुल्य बताया। इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा के साथ थाने के पुलिसकर्मियों ने थाने में स्थापित शहीद धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा को सलामी दी। उन्होंने मेरठ से उठी आजादी की लड़ाई की चिंगारी में शहीद धन सिंह कोतवाल की भूमिका को अतुल्य बताते हुए उन्हें याद किया।
सदर थाने की रही थी अहम भूमिका 1857 में मेरठ के सदर थाने से देश की आजादी के लिए चिंगारी उठी थी। उस समय थाने में तैनात कोतवाल धन सिंह ने इस लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी और वह शहीद हो गए थे। इसके बाद सदर थाने में शहीद धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा की स्थापना की गई।