चिदंबरम ने पूछा- क्या केंद्र वैक्सीन की कीमतों पर मुनाफाखोरी चाहती है?

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर देशभर में  लोगों को संक्रमित कर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार ने आगामी एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाये जाने की अनुमति दी है। हालांकि टीकाकरण के अगले चरण की शुरुआत के साथ ही इसकी वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा वैक्सीन की कीमतें बढ़ाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि अगर केंद्र इसे जानबूझ कर करने दे रहा है तो इसका मतलब है कि वह मुनाफाखोरी बढ़ाना चाहता है।

दरअसल, नई वैक्सीन पॉलिसी के तहत वैक्सीन निर्माता कंपनियों से राज्य सरकार और निजी अस्पताल सीधे तौर पर वैक्सीन खरीद सकते हैं। ऐसे में कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) और कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने इनके दाम बढ़ा दिए हैं। खास बात यह है कि वैक्सीन की कीमतें केंद्र और राज्य सरकारों के लिए अलग-अलग है, जिसे लेकर काफी विवाद हो रहा है। इस अंतर को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने केंद्र पर मुनाफाखोरी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि दोनों निर्माता कंपनियों की धोखेबाजी सबके सामने लाई जाए।

पी. चिदंबरम ने रविवार को अपने ट्वीट में लिखा, ‘सरकार की अयोग्यता को दो वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने सामने ला दिया है। इन कंपनियों ने अपनी-अपनी वैक्सीनों को पांच अलग-अलग मूल्य पर लोगों को देने की योजना बनाई है और सरकार है कि चुप है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे में यह समय काफी माकूल है कि इन कंपनियों की धोखेबाजी सामने लाई  जाए।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि ‘इन वैक्सीन निर्माता कंपनियों का सच सामने लाने का एक ही रास्ता है अनिवार्य लाइसेंसिंग को लागू करना। इस तरह दूसरे फार्मा मैन्युफेक्चर्स से भी बोली लगवाई जा सकेगी। इसमें एसआईआई और भारत बायोटेक को दी जाने वाली रॉयल्टी भी शामिल होगी। ये कंपनियां उचित मुनाफे के साथ वैक्सीन निर्माण की सही कीमत भी सामने लाएंगी।’

अपने एक अन्य ट्वीट में चिदंबरम ने वैक्सीन कीमतों को लेकर कहा कि एक नजरिया यह भी है कि 150 रुपये प्रति डोज पर भी दोनों कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह सच है तो फिर 400 रुपये से 1000 रुपये तक की कीमत शुद्ध तौर पर मुनाफाखोरी है। ऐसे में लगात है केंद्र की सरकार भी यही चाहती है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय से इस पूरे मामले पर जवाब मांगा है।

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