बिहार के स्वास्थ्य बजट का 33 फीसदी कोरोना टीकाकरण पर होगा खर्च

पटना, 22 अप्रैल (हि.स.)। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बिहार सरकार ने अपने बजट 02 लाख 18 हजार 303 करोड़ रुपये में से स्वास्थ्य के लिए 13,264.87 करोड़ का प्रावधान किया है। 

बिहार में भी एक मई से 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को टीका लगाया जाएगा। वर्तमान में टीका बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने राज्य सरकारों के लिए 400 रुपये प्रति डोज वैक्सीन की कीमत तय की है। बिहार में 18 से 45 के बीच करीब पांच करोड़ लोग है, जिन्हें टीके की दरकार पड़ेगी। ऐसे में सरकार को दो टीके की डोज के लिए करीब चार हजार रुपये खर्च करने होंगे, जो उसके स्वास्थ्य बजट का 33 प्रतिशत के पास बैठता है।

बिहार में  करीब दस करोड़ डोज की जरूरत

18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन की घोषणा कर दी गई है। एक मई से सभी लोग ये टीका ले सकेंगे। बिहार सरकार को अपने चुनावी वादे के मुताबिक करीब दस करोड़ लोगों को मुफ्त में कोरोना टीकाकरण करना होगा। इसके लिए वैक्सीन की जरूरत एक मई से हो जाएगी। बिहार सरकार पहली डोज के लिए वैक्सीन एसआईआई से खरीदती है तो उसे दोनों डोज के लिए चार हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। 

 बिहार सरकार ने अपने वित्तीय बजट 2021-2022 में स्वास्थ्य के लिए 13,264 करोड़ का प्रावधान किया है, जिसमें से 6,900 करोड़ रुपये योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे, जबकि 6,300 करोड़ रुपये स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्माण कार्यों में उपयोग किए जाएंगे यानी अस्पताल निर्माण में खर्च करेगी। 

इसके अलावा 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट बाल ह्रदय योजना के लिए अलग से रखा गया है। अभी से अगली डोज के लिए सरकार यदि एसआईआई को ऑर्डर देती है तो योजनाओं के बजट में से मात्र दो हजार करोड़ रुपये ही बचेंगे। स्वास्थ्य विभाग आगे की योजनाओं पर काम करने में असमर्थ रहेगा।

वित्त वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य क्षेत्र में कहां कितना होना है खर्च

इस बजट में सबसे अधिक राशि पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल (पीएमसीएच) को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने के लिए खर्च होने वाली है। इसके लिए कुल रुपये 5,540.07 करोड़ की राशि आवंटित की गयी है, जो इस साल के कुल स्वास्थ्य बजट का 42 प्रतिशत है। 

इसके अलावा पटना के ही एक अन्य अस्पताल एलएनजेपी अस्पताल को 400 बेड वाले अति विशिष्ट अस्पताल बनाने के लिए रुपये 215 करोड़ खर्च होंगे। पटना के ही नवाब मंजिल में 50 बेड के अस्पताल के निर्माण के लिए रुपये 09 करोड़ और आईजीआईएमएस में उपकरणों को खरीदने के लिए रुपये 74.56 करोड़ खर्च होंगे।

इस तरह भले ही बिहार सरकार ने इस साल अपना स्वास्थ्य बजट 21.28 प्रतिशत बढ़ा लिया है लेकिन उसका लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा राजधानी पटना में ही खर्च करने की योजना है। वह भी सिर्फ निर्माण संबंधी गतिविधियों में। 

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बिहार का कुल बजट 2.11 लाख करोड़ रुपये का था। कोरोना ने इसमें से 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खा लिया। वित्तीय वर्ष 2020-21 की शुरुआत में कोरोना ने बिहार को ऐसे घेरा कि 42 विभागों के लिए तैयार होने वाला 2,11,761.49 करोड़ रुपये का बजट पेश होने के साथ ही फेल हो गया। कई विभाग तो पूरे साल में कोई काम ही नहीं कर सके।

सीरम इंस्टीट्यूट ने राज्यों के लिए एक डोज की कीमत 400 रुपये रखी

बुधवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया  ने भारत सरकार के निर्देशों के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन की नई कीमत तय की है। एसआईआई ने वैक्सीन की कीमत राज्य सरकारों के लिए 400 रुपये प्रति डोज और प्राइवेट अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति डोज तय करने की घोषणा की है। एसआईआई ने एक बयान में कहा कि अगले दो महीनों में वैक्सीन प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाएंगे। हमारी उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत भारत सरकार के वैक्सीनेशन अभियान को और बाकी 50 प्रतिशत राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को दिया जाएगा।

सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया कि वह प्रति मिनट 5000 शीशियों को भर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक शीशी 10 डोज होती हैं और एक बार शीशी खुल गई तो 4-5 घंटे में उसको इस्तेमाल करना जरूरी होगा। साथ ही कहा कि वैक्सीन की लगभग 50 मिलियन खुराक पहले से ही तैयार कर ली गई है।

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