उज्जैन, 21 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना कर्फ्यू में मिल रही 4 घंटे की छूट का गलत तरीके से लोग फायदा उठा रहे थे जिसके चलते संक्रमण की जंग जीतना मुमकिन नहीं लग रहा था। कलेक्टर आशीष सिंह ने सख्त निर्णय लेते हुए आज से सब कुछ बंद कर दिया है। शहर में सुबह से ही सन्नाटा दिखाई दे रहा था। चौराहों पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी आने जाने वालों से पूछताछ कर रहे थे। 9 अप्रैल को 60 घंटे का लॉकडाउन लागू किया गया था। इसके बाद 11 अप्रैल की सुबह से 19 अप्रैल की सुबह तक कोरोना कर्फ्यू लगाया गया। उसके बाद इस कर्फ्यू को 26 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था । जिला प्रशासन ने लोगों की जरूरतों को देखते हुए कर्फ्यू में 4 घंटे की छूट दी लेकिन लोगों द्वारा गलत फायदा उठाया जा रहा था। लोग बेवजह घरों से निकलकर बाजारों में भीड़ बढ़ाने लगे थे। पुलिस और प्रशासन द्वारा लगातार कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की बात कही जा रही थी लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे। कलेक्टर ने शहर के बिगड़ते हालातों को देखते हुए मंगलवार शाम क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक लेकर टोटल लॉकडाउन के निर्देश जारी कर दिए और विवाह समारोह पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी। आज सुबह से पुलिस ने टोटल लॉकडाउन का पालन सख्ती के साथ कराना शुरू कर दिया था। सुबह से शहर की कोई दुकान नहीं खुली थी। गली मोहल्लों से लेकर शहर के हर चौराहों और मार्गों पर पुलिस द्वारा नजर रखना शुरू कर दिया गया था। घरों से निकलने वाले लोगों से रोको टोको अभियान चलाकर पूछताछ की जा रही थी। पुलिस की सख्ती को देखकर लोग अपने घरों में कैद हो गए थे। सुबह के समय दूध दुकानों खोली गई थी जिसे समय अवधि पूरी होते ही पुलिस ने बंद करा दिया था। अब शाम को दूध दुकान 2 घंटे के लिए खोली जाएगी। शहर में सिर्फ मेडिकल खोलने की अनुमति दी गई है। घरों से वही लोग निकल रहे थे जिन्हें दवा गोली की आवश्यकता है या फिर उन्हें अस्पतालों तक पहुंचना था। जिस तरह से आज सुबह से सन्नाटा नजर आ रहा था इस तरह का पालन लोग अगर पहले कर लेते तो आज शहर के हालात पूरी तरह से बदले होते हैं। लापरवाही के चलते ही अब 30 अप्रैल तक लोगों को घरों में ही कैद रहना होगा। हालातों के लिए लोग खुद जिम्मेदार हैं। प्रशासन ने तो काफी प्रयास किए की लोगों के साथ सख्त रवैया नहीं अपनाया जाए लेकिन जागरुकता की बात करने वाले नासमझ निकले।
2021-04-21